Agra. ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार लोगों व किसान वर्ग को रोजगार दिलाकर उनके आर्थिक संकट को दूर करने के उद्देश्य से मनरेगा योजना की शुरुआत की थी लेकिन यह योजना अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। इस योजना को रोजगार सेवक ही पलीता लगा रहे हैं जो अपने परिजनों, रिश्तेदारों और करीबी लोगों का जाॅब कार्ड बनाकर सरकारी धन का दुरूपयोग कर रहे हैं। इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने जिलाधिकारी पीएन सिंह से शिकायत की है और इस मामले में उचित कार्यवाही की मांग की है।
मामला आगरा जनपद के विकास खंड अछनेरा के ग्राम पंचायत महुअर का है। आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र में कहा है कि रोजगार सेवक आलोक दीक्षित निवासी गांव पाली सदर ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपनी पत्नी, मां, चाचा, चचेरे भाई तथा अन्य रिश्तेदारों के फर्जी जॉबकार्ड बनाकर पैसे निकाले हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अन्य प्राईवेट कंपनियों में काम करते हैं लेकिन उन्हें मनरेगा मजदूर बना दिया गया है।
शिकायतकर्ता नरेश पारस ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा कई वर्षों से लगातार चल रहा है। रोजगार सेवक आलोक दीक्षित ने अपने परिजनों रिश्तेदारों और करीबी लोगों के फर्जी तरीके से मनरेगा के जॉब कार्ड बनवाए और उनके माध्यम से फर्जी तरीके से पैसे निकाले। फर्जी जॉब कार्ड और घोटाले के साक्ष्य प्रशासन को दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकारी धन का दुरूपयोग है।
शिकायत कर्ता नरेश पारस ने मांग की है कि रोजगार सेवक आलोक दीक्षित द्वारा बनाए गए जाॅब कार्ड, मजदूरी कार्य एवं निकाले गए पैसों की जांच कराई जाए। जिला स्तरीय कमेटी का गठन कर इसकी जांच कराई जाए। दोषी पाए जाने पर उनपर कानूनी कार्यवाही हो और सरकारी पैसे की रिकवरी की जाए।