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मसाला किंग ‘महाशय’ धर्मपाल गुलाटी (एमडीएच) का हार्ट अटैक से हुआ निधन, 98 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस

by admin
Masala King 'Mahasaya' Dharampal Gulati (MDH) died of heart attack, breathed his last at the age of 98

भारत सहित दुनिया भर में प्रसिद्ध मसाला ब्रांड (Masala Brand) ‘एमडीएच’ के मालिक ‘महाशय’ धर्मपाल गुलाटी (Mahashay Dharmpal Gulati) का गुरुवार सुबह निधन हो गया। उन्होंने 98 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। बताया जाता है कि पिछले दिनों धर्मपाल गुलाटी को बीमारी के चलते माता चंदन देवी हॉस्पिटल (Mata Chandan Devi Hospital) में एडमिट कराया गया था। वे कोरोना संक्रमण (Cocina Virus) से तो ठीक हो गए थे लेकिन जानकारी के मुताबिक हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गई। महाशय धर्मपाल के निधन पर दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित भारत सरकार के कई मंत्रियों ने अपनी संवेदना व्यक्त की हैं तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने उनके निधन पर दुख जताया है, साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने कहा कि भारत के प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक महाशय धर्मपाल जी के निधन से मुझे दुःख की अनुभूति हुई है। छोटे व्यवसाय से शुरू करने के बावजूद उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई। वे सामाजिक कार्य में भी काफ़ी सक्रिय थे। महाशय’ धर्मपाल गुलाटी एमडीएच के सीईओ भी थे जिन्हें ‘एमडीएच अंकल’, ‘दादाजी’, ‘मसाला किंग’ और ‘मसालों के राजा’ के नाम से जाना जाता था।

महाशय धर्मपाल गुलाटी का सफर-

‘महाशय’ के नाम से मशहूर गुलाटी का जन्म 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उनका पालन-पोषण पाकिस्तान में ही हुआ था। सियालकोट में उनके पिता ने ‘महाशिया दी हट्टी’ नाम से एक मसाले की दुकान खोली। उनके पिता यहां पर मसाले बेचा करते थे। 

विभाजन के बाद भारत आया परिवार-

1947 में विभाजन के बाद, परिवार भारत आ गया। शुरू में गुलाटी परिवार अमृतसर में शरणार्थी के रूप में रहा। लेकिन बाद में धर्मपाल गुलाटी दिल्ली शिफ्ट हो गए। जब गुलाटी अपने बहनोई के साथ दिल्ली पहुंचे, तब उन्होंने अपने पिता द्वारा दिए गए पैसे से तांगा खरीदा। कुछ दिनों तक थाना चलाने के बाद उन्होंने तांगा अपने भाई को दे दिया और करोल बाकी अजमल खान रोड पर एक छोटी सी दुकान लगाकर मसाले बेचना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे व्यापार चल पड़ा और उनको लाभ होना भी शुरू हो गया।

1959 में एमडीएच कंपनी की नींव रखी-

इसके बाद 1953 में, गुलाटी ने चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली, जिसका नाम ‘महाशिया दी हट्टी’ (MDH) रखा और उन्होंने यहां भी मसालें बेचना शुरू किया। वहीं, गुलाटी ने आगे चलकर एमडीएच कंपनी की आधिकारिक शुरुआत की। धर्मपाल गुलाटी ने 1959 में एमडीएच कंपनी की स्थापना की। इसके लिए उन्होंने कीर्ति नगर (Kirti Nagar) में जमीन खरीदी और एक विनिर्माण इकाई स्थापित की।

देशभर में 15 फैक्ट्रियां-

भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गुलाटी मसालों के एक वितरक और निर्यातक भी बन गए। वर्तमान में एमडीएच मसाले लगभग 50 विभिन्न प्रकार के मसालों का निर्माण करते हैं। कंपनी की देशभर में 15 फैक्ट्रियां हैं और वह दुनियाभर में अपने उत्पाद बेचती हैं। एमडीएच मसाले दुनिया के विभिन्न हिस्सों में निर्यात किए जाते हैं, जिसमें यूके, यूरोप, यूएई, कनाडा जैसे देश शामिल हैं। गुलाटी 2017 में भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) सीईओ बने। 

खुद करते थे कंपनी का प्रचार-

एमडीएच कंपनी (MDH Company) उत्तर भारत के 80 प्रतिशत बाजार पर कब्जे का दावा करती है। धर्मपाल गुलाटी अपने उत्पादों का प्रचार खुद ही करते थे। अक्सर आपने उन्हें टीवी पर अपने मसालों के बारे में बताते हुए देखा होगा। उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज एड स्टार माना जाता था। देशभर में लोग उन्हें ‘एमडीएच अंकल’ (MDH Uncle) के नाम से जानते हैं। 

पांचवीं तक पढ़े थे धर्मपाल गुलाटी-

धर्मपाल गुलाटी ने सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की। आगे की शिक्षा (Education) के लिए वह स्कूल नहीं गए। धर्मपाल गुलाटी को भले ही किताबी ज्ञान अधिक ना हो, लेकिन बिजनेस क्षेत्र में बड़े-बड़े दिग्गज उनका लोहा मानते थे। 

90 फीसदी वेतन को करते थे दान-

धर्मपाल गुलाटी को लेकर कहा जाता है कि वह अपने वेतन का 90 फीसदी हिस्सा दान कर देते थे। एक बार उन्होंने कहा था कि काम करने की मेरी प्रेरणा सस्ती कीमतों पर बेचे जाने वाले उत्पाद की गुणवत्ता में ईमानदारी से है और मेरे वेतन (Salary) का लगभग 90 फीसदी एक चैरिटी (Charity) में जाता है। गुलाटी के पिता के नाम पर एक धर्मार्थ ट्रस्ट भी है, जो झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए 250 बेड का अस्पताल चलाता है। साथ ही गरीबों के लिए चार स्कूल भी चलाता है।

पिछले साल मिला था पद्मभूषण पुरस्कार-

2019 में धर्मपाल गुलाटी उन 112 विशिष्ट लोगों में शामिल थे, जिन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए पिछले साल उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने पद्मभूषण (Padam Bhushan) से नवाजा था।

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