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12 साल मिली खोई बहन, गले लगते ही भाई की आँखों से गिरने लगा झरना

by admin

Agra. लगभग 12 साल पहले घर से गुम हुई बहन को सही सलामत वापस पाकर एक भाई के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। बहन को देखता और उसे अपनी बाहों में भर लेता। यह दृश्य ईदगाह रेलवे स्टेशन पर जिसने भी देखा वो यही पूछने पर मजबूर हो गया कि आखिरकार माजरा क्या है। पूछने पर लोगों को जवाब मिला कि 12 साल बाद भाई को खोई हुई बहन मिली है। यह जानकर लोग भी कहने लगे कि ऊपर वाले के घर में देर है अंधेर नहीं। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान की चिकित्सक मीना पाठक ने उन्हें ईदगाह रेलवे स्टेशन से असम के लिए ट्रेन में बैठाया और रवाना किया।

2011 को लापता हुई थी मोनी

अक्सर फिल्मों में देखने को मिलता है कि कुंभ या फिर किसी बड़े मेले में भाई बहन बिछड़ जाते है और सालों बाद युवा अवस्था में मिलते है। मोनी बेगम और समीर हुसैन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। असम के नाउजान की रहने वाली मोनी 28 अप्रैल 2011 को अपने परिवार से जुदा हो गई थी। वह एक मानसिक रोगी थी। 12 साल पहले वह न जाने कैसे आगरा पहुंची। मानसिक रोगी होने के चलते किसी ने उन्हें मानसिक स्वास्थ्य संस्थान आगरा में भर्ती करा दिया। तभी से वह मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में ही रह रही थी। संस्थान में ही उनका इलाज हुआ और थोड़ा ठीक होने पर अपने घर जाने के लिए रोने लगती थी। ठीक से बोलने में असमर्थ और मानसिक रोगी होने के चलते किसी ने उनकी ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया।

मोनी को उसके परिवार और भाई से मिलाने में अहम भूमिका मानसिक स्वास्थ्य संस्थान की डॉक्टर मीना पाठक की है। उन्होंने बताया कि मोनी के रोने और घर जाने की ललक के चलते वह उसके परिवार को ढूढ़ने में लग गयी। मोनी बेगम ना ही सुन सकती हैं और ना ही बोल सकती हैं। ऐसे में उन्होंने गूगल अर्थ की मदद ली। गूगल अर्थ की वजह से उसके राज्य और शहर का नाम जान पाए। जब प्रयास रंग लाने लगे तो फिर वहा के थाने का पता लगाया गया और उसके बाद उनके गांव प्रधान की खोज हुई। 12 दिन पूर्व उनके भाई से बात की गई।

चिकित्सक मीना पाठक गांव के प्रधान के सहयोग से मोनी के भाई तक पहुँच गयी। जब समीर हुसैन को उसकी बहन के बारे में बताया गया तो उसे यकीन ही नहीं हुआ कि उनकी बहन जिंदा है। इस पर पूछताछ करके बात करा के उसके भाई को यकीन दिलाया गया। आगरा पहुँचे भाई समीर हुसैन अपनी बहन को देखकर भावुक हो गए। मोनी बेगम के भाई समीर हुसैन ने कहा कि उन्होंने तो अपनी बहन से मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। आज वह अपनी बहन को 12 साल बाद घर वापस ले जा रहे हैं। समीर हुसैन मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को धन्यवाद कहते हुए नहीं थक रहे।

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