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संगीत सुनना और गुनगुनाने से बढ़ती जिंदगी में ‘हैप्पीनेस’

by pawan sharma
  • प्रोग्राम की शुरुआत विक्रम शुक्ला और एसिड अटैक सुर्वीवोर्स- जीवन के दिन छोटे सही, हम भी बड़े दिलवाले हैं।
  • श्वांस प्रक्रिया सहित मानव के इन्द्रीय तंत्र पर भी संगीत का अनुकूल प्रभाव – वाहिया

संगीत का मानव जीवन में सदैव महत्व और सकारात्मक योगदान रहा है। लोक संगीत और पुरातन वाध्ययंत्र इसके साक्ष्य हैं। संगीत के इसी पक्ष को स्वयं समझ कर अन्यों को भी समझाने को प्रयास रत हैं हरविजय सिंह वाहिया। स्थापित एक्सपोर्टर, प्रख्यात फोटोग्राफर और कार रैली ड्राइवर के रूप में राष्ट्रीय पहचान रखने वाले श्री वाहिया जो कि फतेहाबाद रोड टूरिस्ट कांप्लेक्स में एसिड अटैक पीड़िताओं के द्वारा संचालित शीरोज हैंगआउट कैफे में आयोजित ‘म्यूजिक और हैप्पीनेस प्रोग्राम को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे, ने कहा कि संगीत सुखात्मक अनुभूति देने के साथ ही मानव स्वास्थ्य के भी अनुकूल है।

संगीत का स्वास्थ्य से सीधा संबंध
श्री वाहिया ने कहा कि संगीत का श्रवण, स्वर और श्वांस से सीधा संबंध है, ये तीनों ही मानव शरीर से जुड़ी स्वाभाविक प्रक्रियायें हैं ।चाहे संगीत गायन के रूप में हो या फिर वाद्य यंत्र का श्वांस और श्रवण तंत्र को प्रभावित करता है। भजन, गीत, कविता या शास्त्रीय ग्रंथों के श्लोक हो अगर सस्वर गाये जाते हैं ये गाने वाले के साथ ही श्रोता के शरीर के इन्द्री तंत्र को प्रभावित करते है। जो एक स्वास्थ्य अनुकूल प्रक्रिया है।

श्री वाहिया ने कहा कि अपने कॉलेज के दिनों में साथियों के लिये संगीत कार्यक्रमों के आयोजनों में सहयोगी रहने की स्मृतियां अब भी हैं। किताब लिखने और फोटोग्राफी करने के उनके शौक से भरपूर उनकी जिंदगी में रहने वाली व्यस्ताओं के बीच जब भी मौका मिलता है संगीत सुनते हैं और स्वयं भी गाना गुनगुनाने से नहीं चूकते हैं।

संगीत से बढ़ती है ‘हैप्पीनेस’
एसिड फेंक कर ताजिंदगी कभी न भुलाने वाली काली करतूत की घटना से पीड़िताओं में से दो गाने का अभ्यास करने वाले ग्रुप में शामिल हो गयीं। इन दोनों ने ही महसूस किया कि संगीत कार्यक्रमों में सहभागी बनने से उनके जीवन में ‘हैप्पीनेस‘ की वृद्धि हुई है। इनमें से एक नगमा ने कहा है कि उसका शौक राहतकारी रहा है, उसने ताज महोत्सव में इस साल अपने ग्रुप के साथ गायिका के रूप में भाग लिया था। यह अवसर उसके लिये सुखान्वित करने वाला था। वह चाहेगी कि इस प्रकार के आयोजनों की संख्या में बढ़ोतरी हो जिससे उस म्यूजिक और सिंगिंग ग्रुपों को अधिक अवसर मिल सकें।

संगीत से जीवन जीने को मिलती है जरूरी ऊर्जा
अमृत विद्या एजुकेशन फार इम्मोरलिटी के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा कि संगीत न केवल अनेक दुखों से उभारता है, अपितु आत्मिक तौर पर सुखद अनुभूति भी देता है। जो अपने आप में जीवन जीने की ऊर्जा है। उन्होंने ग्रुप सिंगिंग पर चर्चा करते हुए कहा कि जब भी कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनायी जायें तो उसमें संगीत प्रस्तुतियां भी शामिल हों। संगीत सभी के द्वारा पसंद किया जाता है, जहां वरिष्ठ अपने बीते दिनों की स्मृतियों को ताजा करते हैं, वहीं युवा वर्ग जिनमें एसिड अटैक की कूर घटना से पीडिताये भी हैं अपने तमाम तनावों और चुनौतियों को भूल कर मानसिक रूप से तनाव मुक्त होता है।

सामूहिक आयोजनों से बढ़ती है आपसी समझ
आशीष शुक्ला ने कहा कि समूह के रूप में जब कोई गतिविधि करते हैं तो परस्पर समझ के अवसर बढते हैं। यह छठवां कार्यक्रम है।उन्होंने कहा कि सोसायटी के किसी भी वर्ग का व्यक्ति हो मानव स्वभाव के अनुरूप उसके एक दो शौक या बृत्तियां जरूर होती हैं।जिनमें गाना और अपने से जुडा इतिहास के प्रति रुचियां भी हैं।

प्रशिक्षण की पेशकश
इस अवसर में श्री विक्रम शुक्ला ने कहा कि अगर एसिड अटैक प्रभावितों में से कोई सिंगिंग का शौक रखती हों तो वह उन्हें निशुल्क संगीत का प्रशिक्षण देना प्रस्तावित करते हैं। कार्यक्रम के दौरान कई संगीत प्रस्तुतियां भी हुई और आयोजकों के द्वारा कहा गया कि संगीत के माध्यम से जनजीवन में ‘हैप्पीनेस ‘ बढ़ाने वाले आयोजनों के इस क्रम को आगे भी जारी रखने का प्रयास होगा।

आज के प्रोग्राम में असलम सलीमी, राम मोहन कपूर, कॉल शिव कुंजरू, राजीव खंडेलवाल, सीमा खंडेलवाल, कांति, बीके शर्मा, अशोक अगरवाल, विवेक जैन, रोज मेरी शुक्ला, संदीप देवरानी, विशाल रियाज, पूजा देवरानी, मनोज तेंगुरिया, नवबुड्डीन, डॉ एस के चंद्रा, सुमिता रॉय, मेघा दूबे, मधुकर चतुर्वेदी, जसपाल, कल्पना शुक्ल, रफीक अहमद, स्पर्श मितल, रोशनी, प्रदीप, लता दौलतानी, वेद त्रिपाठी, ज्योति खंडेलवाल, विशाल झ, डॉ रश्मि त्रिपाठी, योगेश शर्मा, अमित रॉय आदि उपस्थित रहे।

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