आगरा। बैंडबाजों संग धूमधाम से निकली कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ हुआ। योगेश्वर महादेव श्रीमाता महाकाली मंदिर जोगी मंदिर से प्रारम्भ होकर कलश यात्रा द्वारा क्षेत्र वासियों को कथा के लिए आमंत्रित किया गया। रुई की मंडी, शाहगंज, भोगीपुरा, संगीता रोड क्षेत्र भ्रमण के दौरान जगह-जगह कलश यात्रा का स्वागत पुष्प वर्षा कर किया गया।
सिर पर मंगल कलश लेकर बैंड बाजों पर भक्तजनों ने झूमते गाते कलश यात्रा में भाग लिया। कलश यात्रा से पूर्व सर्वप्रथम गणेश पूजन व देव स्थापना की गई। व्यासपीठ पर बैठकर पं. कोमल कृष्ण शास्त्री (वृन्दावन) ने श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन भागवत के महात्मय का वर्णन किया। कहा कि सत्संग बिना जीव मानसिक तनाव से मुक्त नहीं हो सकता। पापों से मुक्त होने का साधन कलि काल में श्रीमद्भागवत का रसपान ही है। श्रीमद्भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। कलि रूपी दानव से बचने के लिए संत शरण में जाकर सरल और सहज जीवन को जीया जा सकता है।
नारद जैसे परम संत द्वारा भक्ति की स्थापना ज्ञान वैराग्य को सुशुप्ति से मुक्ति, आत्मदेव का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि आत्मा से निर्मित देह को ही आत्मदेव बताया। शुकदेव के जन्म की कथा, नारद जी द्वारा ब्यास के पूर्वजन्म की कथा सुनाकर संशय मुक्त करना, कौरव पाण्डव प्रसंग आदि का वर्णन किया। द्वारिका नाथ पुजारी परिक्षित के रूप में कलश यात्रा में शामिल हुए।
इस अवसर पर मुख्य रूप से ब्रह्मचंद गोस्वामी, द्वारिका नाथ पुजारी, वृन्दा गोस्वामी, विष्णु, पवन, सतीश, प्रमोद, प्रेमलता, जया, स्वदेश, गौरव, तनु, तरुण गोस्वामी, पं. अंकुश शात्री मौजूद रहे।