Mathura. इसे किस्मत का दोष कहे या फिर सरकार की उदासीनता कि जिस खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से विश्व चैंपियन का खिताब हासिल किया और अपनी कड़ी मेहनत और लगन से कई देशों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन करने वाला खिलाड़ी आज सड़क पर बैठकर चाय बेचने को मजबूर है। सरकार की अनदेखी के चलते वो आज आर्थिक तंगी से जूझ राह हैं और परिवार के भरण-पोषण के लिए चाय बेचने को मजबूर है।
हम बात कर रहे हैं विश्व चैंपियन कराटे खिलाड़ी हरिओम शुक्ला की। वर्तमान में हरिओम का परिवार यमुना पार स्थित ईशापुर पानी की टंकी के पास वार्ड नंबर 14 में रहकर अपना जीवन यापन कर रहा है। हरिओम ने होश संभाला तभी से उसकी रूचि कराटे में बढ़ी। हरिओम ने ट्रेडिशनल स्यूटो कराटे फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले वर्ष 2006 में मथुरा से कराटे खेलना शुरू किया। इसके बाद 2008 में मुंबई के अंधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में इंटरनेशनल खिताब जीता। इसके बाद हरिओम शुक्ला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिले से लेकर इंटरनेशनल स्तर तक हरिओम ने कराटे में दर्जनों गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीते।
2006 से शुरू हुआ कराटे खेलने का सफर-
इंटरनेशनल खिलाड़ी होने के बावजूद हरिओम शुक्ला अपने परिवार का चाय बेचकर पालन पोषण कर रहे हैं। जब हमने हरिओम से उनके कराटे चैंपियन के सफर के बारे में बात कि तो उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि मैंने 2006 में मथुरा से कराटे लड़ना शुरू किया और फिर मेरी प्रतिभा को देखते हुए मुझे 2008 में मुंबई के अंधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में खेलने का मौका मिला। यहीं से मेरे इंटरनेशनल खेल की शुरुआत हुई।
भारत के लिए 60 मेडल जीते:-
2008 और 2010 में ओपन से पहला गोल्ड मेडल काठमांडू से जीतकर आया। हरिओम ने बताया कि 2013 में थाईलैंड के पटाया में खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यहां गोल्ड पर अपना कब्ज़ा किया जिसके बाद मेरे कदम रुके नहीं और आगे बढ़ते चले गए। हरिओम ने कहा की थाईलेंड से 2013 में ही सिल्वर सीनियर को जीता था। 2015 में USA में दूसरा सिल्वर, श्रीलंका में पहला सीनियर गोल्ड और दूसरा ओपन सिल्वर को जीतकर जिले के साथ साथ देश का नाम भी रोशन किया। इस दौरान क़रीब 60 मेडल जीते जिसमें गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक शामिल हैं।
विश्व कराटे चैंपियन हरिओम शुक्ला ने कहा कि आज उनका मन काफी दुखी है क्योंकि जिस तरह से उन्होंने विश्व चैंपियन का मेडल जीता और उसके साथ बीएससी पास की मगर सरकार ने उनके लिए कुछ मदद के नाम पर कुछ नहीं किया। इसीलिए आज विश्व चैम्पियन होने के बावजूद चाय बेचकर गुजारा करना पड़ रहा है।
हरिओम ने बताया कि उन्होंने मदद के लिए सरकार से भी अपील की। सपा सरकार में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से मिलकर सरकारी मदद और नौकरी की मांग की लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस सरकार में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर क्षेत्रीय सांसद हेमा मालिनी, प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा और क्षेत्र के विधायक पूरन प्रकाश से भी सरकार से मिलने वाली मदद की उम्मीद को लेकर गुहार लगाई लेकिन अभी तक मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है लेकिन मदद नहीं मिली है।