आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में कार्यरत चिकित्सकों का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है। भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले चिकित्सक अपनी मनमर्जी पर उतारू है। हालात आगरा के एसएन अस्पताल में ऐसे हैं कि आगरा के एसएन अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है। जिसका इलाज केवल प्रदेश सरकार ही कर सकती है। ताजा मामला बीती रात को घायलों के इलाज का है।
बताते चलें कागारौल में एक बस हाईटेंशन तार की चपेट में आने से दो लोगों मौत हुई। कई लोग घायल हुए। घायलों को आगरा के मेडिकल कॉलेज लाया गया। घायल इलाज के लिए तड़प रहे थे। डाक्टरो ने इलाज करने से मना कर दिया। इस मामले में जिलाधिकारी ने संज्ञान लिया है और चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है।
इसके बाद घायल के परिजनों में आक्रोश फैल गया। आक्रोशित लोग हंगामा करने लगे। आरोप तो यह भी कहा कि मेडिकल कॉलेज पर मौजूद डॉक्टर नशे की हालत में थे। इसीलिए इलाज करने से मना कर रहे थे। लिहाजा विधायक चौधरी उदयभान ने सभी घायलों को आगरा के निजी अस्पताल पुष्पांजलि में भर्ती कराया। जहां उपचार शुरू हो सका। जिला अधिकारी गौरव दयाल ने इस मामले में सीएमओ को दिशा निर्देश जारी किए है।
यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले चिकित्सकों का मानवीय चेहरा सामने आया है। कभी राजामंडी बाजार में डॉक्टरों की खुली गुंडई तो कभी तीमारदारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। जिला प्रशासन से लेकर पुलिस थानों में भी चिकित्सकों के खिलाफ FIR दर्ज हुई। मगर शायद चिकित्सकों की हड़ताल और मनमानी के चलते जिला प्रशासन को पीछे हटना पड़ा और बैकफुट पर आना पड़ा। अब देखना होगा कि इस बार चिकित्सकों के खिलाफ क्या जिला प्रशासन कोई कार्यवाही करता है।