Agra. दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) के हिंदी उपन्यास ‘टूंब ऑफ सैंड’ को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह किसी भी भारतीय भाषा की पहली पुस्तक है, जिसे यह सम्मान मिला है। गुरुवार (26 मई 2022) को लंदन में एक समारोह में गीतांजलि श्री को यह सम्मान दिया गया। इस मौके पर गीतांजलि ने कहा कि ‘वह सम्मान पाकर पूरी तरह अभिभूत हैं। मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। यह कितनी बड़ी पहचान है, मैं चकित, प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र हूं।’ बताते चलें कि इसमें पुरस्कार के साथ पदक चिह्न और 50,000 जीबीपी दिए जाते हैं।
गीतांजलि की यह उपन्यास ‘टूंब ऑफ सैंड’ मूल रूप से ‘रेत समाधि’ पर आधारित है। यह उत्तरी भारत की 80 वर्षीय महिला की कहानी है। बुकर के लिए चुनाव करने वाले जजों ने इसे एक ‘आनंददायक उपन्यास’ करार दिया है। इस किताब को अंग्रेजी में तेजी राक्वेल ने ट्रांसलेट किया था यह विश्व की 13 पुस्तकों में शामिल हुई जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था।
तीन उपन्यासों और कई कहानी संग्रहों की लेखिका 64 वर्षीय गीतांजलि उत्तर प्रदेश की मैनपुरी से ताल्लुक रखती हैं। श्री ने अपनी किताबों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई और कोरियाई में अनुवाद किया है। मूल रूप से 2018 में हिंदी में प्रकाशित, ‘टूंब ऑफ सैंड’ अगस्त 2021 में टिल्टेड एक्सिस प्रेस द्वारा यूके में अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाली उनकी पहली पुस्तक है। गीतांजलि श्री तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह की लेखिका हैं।
हिंदी की पहली कृति के लिए बुकर सम्मान हासिल करने पर लेखिका ने कहा कि ऐसा होने का माध्यम बनना अच्छा लगता है। लेकिन मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों को जानने के लिए विश्व साहित्य अधिक समृद्ध होगा। इस तरह की बातचीत से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी।
यह होता है बुकर पुरुस्कार
यह पुरस्कार हर साल अंग्रेजी में लिखे गए और UK या आयरलैंड में प्रकाशित होने वाले सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए दिया जाता है। 2022 के पुरस्कार के लिए चयनित पुस्तक की घोषणा सात अप्रैल को लंदन बुक फेयर में की गई थी जबकि विजेता का ऐलान अब किया गया है।