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50 से अधिक मरीजों का जटिल ऑपरेशन कर आंखों की रोशनी लौटा चुके हैं डॉ. समीर प्रकाश

by admin
Dr. Sameer Prakash has returned his eyesight after performing a complex operation of more than 50 patients.

Agra. आंख की कार्निया की घातक चोट भी अब ठीक हो सकती है। बशर्ते उस मरीज को समय से और सही इलाज मिल जाए। ऐसे ही कुछ जटिल ऑपेरशन कर मरीजों को उनकी आंख की रोशनी लौटाने का काम डॉ समीर प्रकाश ने किया है। डॉ समीर प्रकाश की ओर से एक प्रेस वार्ता आयोजन किया गया जिसमें आंख की चोट के गंभीर मरीजों के हुए ऑपरेशन की जानकारी दी, साथ ही ऐसे दो मरीजों से भी पत्रकारों को रूबरू कराया।

डॉ. समीर ने बताया कि इस प्रेस वार्ता में शामिल हुए 2 मरीजों में से एक मरीज तो वह है जिसकी आंख पटाखे चलने से जुड़े पत्थर से घायल हुई थी। उसकी आंख की कार्निया में पत्थर लगने से आंख बुरी तरह से डैमेज हो गई थी। 6 दिनों तक यह मरीज इधर-उधर इलाज कराता रहा लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। जिसके बाद जब यह हमारे पास पहुंचा तो बहुत देर हो चुकी थी लेकिन फिर भी मरीज को भरोसे में लेकर इलाज करने की रजामंदी ली और उसकी आंखों का ऑपरेशन किया गया। यह ऑपरेशन सफल रहा और आज मरीज उस आंख से देख रहा है। ऑपरेशन से पहले इस आंख की रोशनी वापस आने के कोई चांस से नहीं थे क्योंकि इसके चलते उसकी दूसरी आंख पर भी फर्क पड़ने लगा था लेकिन आज यह मरीज एक आम व्यक्ति की तरह देख रहा है और उसकी दोनों आंखें स्वस्थ है।

तुरंत लेना चाहिए इलाज

प्रेस वार्ता के दौरान डॉ समीर ने बताया कि जिन मरीजों के आंख में गंभीर चोटें लगती हैं तो उनकी रोशनी के वापस न लौटने के चांस ज्यादा रहते हैं लेकिन अगर इन मरीजों को 6 से 8 घंटे के अंदर एक बेहतर चिकित्सक से बेहतर इलाज मिल जाए तो उसकी आंख का बेहतर इलाज हो सकता है। उसकी आंख की रोशनी भी वापस आ सकती है लेकिन अधिकतर केसों में ऐसा नहीं होता। लोग इधर-उधर इलाज कराने के चक्कर में उस चोट को और ज्यादा गंभीर बना लेते हैं। इसीलिए अगर आपकी आंख में किसी कारण से गंभीर चोट लगी है तो आपको तुरंत एक जगह पर चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

50 जटिल मरीजों के हुए हैं सफल ऑपरेशन

डॉ समीर ने बताया कि अभी तक ऐसे 50 केस उनके पास आए हैं जिनकी आंख की रोशनी किसी भी कीमत पर वापस नहीं लौट सकती थी। इनके परिवारी जनों को की रजामंदी और उन्हें उचित परामर्श दिए जाने के बाद जब इनके ऑपरेशन किए गए तो यह सारे ऑपरेशन सफल रहे हैं। ऐसे अधिकतर मरीजों के आंख में पत्थर या फिर किसी लोहे की छड़ से चोट लगने के कारण आंख की पुतली फट गई थी जिससे उन्हें दिखाई देना बंद हो गया था लेकिन ऐसे सभी मरीजों के सफल ऑपरेशन हुए हैं।

विशेष मशीन से होती है रंगीन जांच

डॉ समीर ने बताया कि ऐसे गंभीर चोट वाले मरीजों की सबसे पहले विशेष मशीन द्वारा रंगीन जांच की जाती है जिसे एंटीरियर सेगमेंट फोटो स्कैनर मशीन कहा जाता है। इस मशीन से जांच करने पर मरीज की आंख में लगी चोट का सही पता लग जाता है। फिर उसके बाद दूरबीन मशीन द्वारा फटी हुई आंख को वापस पहले जैसे बनाने के लिए विशेष प्रकार की दवाइयों से आंख की झिल्लीयों की सफाई की जाती है और उनका ऑपरेशन किया जाता है।

गहरी चोट के कारण हो जाता है मोतियाबिंद

डॉ समीर ने बताया कि आंखों में लगी गहरी चोट के कारण उस मरीजों को मोतियाबिंद भी हो जाता है जिसे बाद में फेको विधि द्वारा निकालकर लेंस डाल दिया जाता है जो आंख की गई हुई रोशनी को वापस लाने में काफी सहायक होता है।

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