Home » ‘शिक्षावान नहीं शिक्षित बनें’, मातृशक्ति समन्वय सम्मेलन में आधी आबादी की समस्याओं पर हुई चर्चा

‘शिक्षावान नहीं शिक्षित बनें’, मातृशक्ति समन्वय सम्मेलन में आधी आबादी की समस्याओं पर हुई चर्चा

by admin

Agra. ‘निर्माणों के पावन युग में, हम चरित्र निर्माण को ना भूलें, स्वार्थ साधना की आंधी में, वसुधा का कल्याण ना भूलें’ भले ही यह किसी कवि द्वारा रचित पंक्तियां हो लेकिन इन पंक्तियों को सार्थक बनाने का समय आ गया है। इन पंक्तियों को आधार बनाकर ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आगरा छावनी महानगर की ओर से सदर स्थित माना मंडपम में मातृशक्ति समन्वय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आईएएस रेखा एस चौहान, साध्वी रेणुका बाई, मनीषा गर्ग और मुख्य वक्ता के रूप में मनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्वलित करके किया गया। जिसके बाद मातृ शक्ति को और ज्यादा मजबूत शिक्षित व अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने की कवायद शुरू हुई।

आधी आबादी की समस्याओं पर हुई चर्चा

आधी आबादी किसी से कम नहीं है। आज की लड़कियां लड़कों से आगे निकल रही है लेकिन फिर भी उनके प्रति समस्याएं कम नहीं होती। ये समस्याएं घर के अंदर बेटी के साथ भेदभाव से लेकर बाहर छेड़खानी तक होती हैं। कभी-कभी तो इससे भी ज्यादा गंभीर समस्याओं से आधी आबादी को जूझना पड़ता है। इन समस्याओं से कैसे निपटें, महिला, युवती और बालिका अपने हक के लिए कैसे आवाज़ उठाएं? कुछ इन्हीं मुद्दों को लेकर खुलकर चर्चा की गई मुख्य अतिथियों ने उन्हें अपने अधिकार और उन्हें सशक्त बनाने पर अपने विचार रखें और जोर दिया।

दिल्ली निर्भया कांड ने फिर दहलाया

मातृशक्ति समन्वय सम्मेलन के दौरान एक बालिका ने निर्भया कांड को लेकर नाटक की प्रस्तुति दी बालिका की प्रस्तुति ने सभी को झकझोर कर रख दिया। बालिका ने दर्शाया कि वह पढ़ी लिखी थी, संस्कारी थी, कपड़े भी पूरे पहन रखे थे, फिर क्यों उसकी इज्जत के साथ खेला गया। उसके सारे सपने चकनाचूर कर दिए। इतना ही नहीं उसे इस स्थिति तक पहुंचा दिया कि उसकी मौत हो गयी।

आखिरकार कसूर किसका था?

क्या लड़की का निकलना अभी भी पुरुष प्रधान देश को पसंद नहीं है या फिर लड़की कोई खिलौना है जिससे कोई भी आकर खेल कर चला जाए। बालिका ने सवाल किया कि कसूर किसका था? बस सभी की आवाजें थम सी गई। फिर आवाज उठी क्या अपने बेटों को संस्कारी बनाना जरूरी नहीं है।

मुख्य अतिथि रूप में पहुंची आईएएस रेखा एस चौहान ने कहा कि शक्ति का दूसरा नाम नारी है। नारी के योगदान को कोई भी झुठला नहीं सकता है। बच्चे का बेहतर चरित्र निर्माण की शक्ति उसी के अंदर है। बच्चों में भेदभाव ना हो यह एक माँ ही कर सकती है। लड़कियों को शिक्षित बनाकर उनका हक दिलवाने का कार्य मां ही कर सकती है। मां को अपनी शक्ति पहचानी होगी। अपने बच्चों को भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण करना होगा जिससे हर तरफ आज आबादी के लिए सम्मान दिखाई दे।

शिक्षित बनो शिक्षावान नहीं

मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे मनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी ने कहा कि आधी आबादी को शिक्षित होना जरूरी है ना कि शिक्षावान। दोनों में बड़ा ही अंतर है। आजकल शिक्षावान तो हर कोई बन जाता है लेकिन शिक्षित यानी उच्च शिक्षा का सही उपयोग करना किसी को नहीं आता है। इसीलिए अगर आधी आबादी अच्छे से शिक्षित बनेगी तो अपने हक को भी पहचानेगी।

उन्होंने कहा कि आज आधी आबादी कोई अबला नहीं है। वह झांसी की रानी का दूसरा प्रतिबिंब है, वह शक्ति है। इसीलिए आधी आबादी को अपनी शक्ति को जागृत करना होगा, हर समस्या से लड़ना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में जो परिस्थितियां बनी है वह उन्हें भी झकझोर देती है। आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती है जिन्हें सुनकर और पढ़कर अच्छा नहीं लगता। ऐसा लगता है कि जैसे हमारे बच्चों यानी बेटों में संस्कारों की कमी आ गई है। आज हम सभी को संकल्प लेना है कि अपने बेटों को संस्कारी बनाएंगे जिससे दुष्कर्म जैसी घटनाएं ना बढ़ें।

योगेश पुरी ने कहा क्योंकि यह एक ऐसी घटना है जो आधी आबादी को पूरी तरह से तोड़ कर रख देती है। वर्तमान भौतिक युग युग निर्माणों के पावन युग भी कह सकते हैं लेकिन इस भौतिक युग में हमें अपने चरित्र और संस्कारों को नहीं भूलना है। तभी हम एक सच्चे भारतीय हैं और सनातनी कहलाएंगे।

Related Articles

Leave a Comment