आगरा। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन योजना में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद इसको लेकर बुलाए गए विशेष अधिवेशन में इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट का जैसे ही खुलासा हुआ उसकी गाज सेनेट्री इंस्पेक्टर, ज़ेडएसओ सहित नगर निगम के पर्यावरण अभियंता राजीव राठी पर गिर गई। डोर टू डोर कलेक्शन कंपनियों के सत्यापन की पूरी जिम्मेदारी पर्यावरण अभियंता राजीव राठी के कंधों पर थी। महापौर नवीन जैन ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए अपर नगर आयुक्त विनोद कुमार की जांच रिपोर्ट के आधार पर नगर आयुक्त और प्रकाश को निर्देशित किया कि पर्यावरण अभियंता राजीव राठी को सभी अधिकारों से मुक्त किया जाए। पर्यावरण अभियंता राजीव राठी के साथ ही इस पूरे भ्रष्टाचार में शामिल निगम के अधीनस्थ अधिकारियों पर भी गाज गिरना तय हो गया है
आगरा शहर को स्वच्छ बनाने और हर घर से कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम की ओर से डोर टू डोर योजना को शुरू किया गया था। इसके लिए टेंडर के माध्यम से पांच कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन लगातार करोड़ों के भुगतान के बाद भी शहर की सफाई व्यवस्था सूचना देखने पर पार्षदों ने आखिर इस व्यवस्था पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया। पार्षदों की लगातार मांग पर डोर टू डोर कलेक्शन के सत्यापन को लेकर जांच कमेटी गठित की गई और इस विशेष अधिवेशन में उसका खुलासा हुआ। इस खुलासे के साथ ही साफ हो गया कि नगर निगम भी पूरी तरह से भ्रष्टाचार मुक्त नहीं हो पाया है।
अपर नगर आयुक्त विनोद कुमार गुप्ता के रिपोर्ट पढ़े जाने के बाद पार्षदों ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की। पार्षद रवि माथुर और राकेश जैन इस पूरी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए। उनका कहना था कि लगातार पार्षद इस व्यवस्था पर सवाल उठा रहे थे और भ्रष्टाचार की शिकायतें कर रहे थे लेकिन इसके बावजूद निगम अधिकारियों ने अपने कानों को बंद रखा और भुगतान करते रहे।
पार्षद राधिका अग्रवाल और जगदीश पचौरी का कहना था कि इस व्यवस्था के माध्यम से शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाना था। यह महापौर की भी प्राथमिकता थी जिसके माध्यम से स्वच्छता सर्वेक्षण के टॉप टेन में आगरा को लाना था लेकिन डोर टू डोर कलेक्शन कंपनी और निगम के भ्रष्ट अधिकारियों ने इस पर पानी फेर दिया। पार्षद प्रकाश केसवानी उर्फ शेरा भाई और मोहन सिंह लोधी ने भी इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
इस विशेष अधिवेशन में विधायक और सांसद भी पहुंचे थे। विधायक योगेंद्र उपाध्याय का कहना था कि मोदी और योगी सरकार में भी यह भ्रष्ट अधिकारी सुधार नहीं रहे हैं। इनकी लापरवाही के कारण नगर निगम भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है। अपर नगर आयुक्त विनोद कुमार की जांच रिपोर्ट ने इसका खुलासा कर दिया है और निगम अधिकारी अभी भी इस पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं। सोचने वाली बात यह है कि इस भ्रष्टाचार के बारे में मालूम होने के बाद भी 7 महीने इंतजार किया गया और निगम अधिकारी यह कहकर पीछा छुड़ा रहे हैं कि 7 महीनों में उनका किसी भी तरह का भुगतान नहीं किया गया है। विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ऐसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ सीधे एफ आई आर कराए जाने के निर्देश दिए जिससे आगरा शहर से एक अच्छा संदेश पूरे प्रदेश में जाए।
सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई को साठगांठ करके इन लोगों ने अपनी जेब में भर लिया। महापौर का नारा था कि आगरा को क्लीन ग्रीन और नवीन बनाएंगे। मेयर का पद संभालने के साथ ही उन्होंने शपथ ली थी कि भ्रष्टाचार को खत्म करूंगा और ना खाऊंगा ना खाने दूंगा लेकिन इस सब पर पानी फिर गया है। ऐसे में जब तक भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होगी और डोर टू डोर कलेक्शन कंपनियों से रिकवरी नहीं होगी, निगम में ऐसा ही चलता रहेगा।
इस विशेष सदन में पार्षदों के साथ साथ विधायक-सांसदों की तीखी प्रतिक्रियाएं सुनकर निगम अधिकारियों के भी होश उड़ गए। महापौर ने मोर्चा संभालने के साथ ही नगर आयुक्त को निर्देशित कर दिया कि इस पूरे भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और इसकी पहली गाज पर्यावरण अभियंता पर गिरना तय हो गई है क्योंकि इस सदन में उन्हें अधिकार मुक्त करने के निर्देश महापौर ने दे दिए।