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प्रदेश की पेयजल और सीवर समस्या के निदान के लिए बढ़ाये जाएंगे निगम के अधिकार

by pawan sharma

लखनऊ के गोमती नगर स्थित होटल रणजी में मंगलवार को उत्तर प्रदेश महापौर परिषद की बैठक सम्पन्न हुई। महापौर नवीन जैन के उत्तर प्रदेश महापौर परिषद के अध्यक्ष चुने जाने के बाद यह पहली बैठक थी। बैठक में उत्तर प्रदेश के 16 महापौर में से 13 महापौर ने भाग लिया। दो महापौर देश से बाहर होने के कारण शामिल नही हो सके और एक महापौर के परिवार में गमी हो जाने के कारण बैठक में भाग नही ले पाए। बैठक के दौरान प्रदेश के सभी नगर निगम क्षेत्र के विकास कार्यो के लिए तैयार किये गए एजेंडे पर विचार विमर्श किया गया और महापौर से संबंधित व विकास कार्य कराने में आ रही विभिन समस्याओं पर मंथन किया गया। बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना मौजूद रहे। उत्तर प्रदेश महापौर परिषद के अध्यक्ष महापौर नवीन जैन और सभी महापौर ने नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना का बुके देकर स्वागत सत्कार किया।

बैठक के दौरान सभी महापौरों ने अपने अपने क्षेत्र की जनहित से जुड़ी समस्याओं को सामने रखा जिसमे निर्माण, पेयजल और सीवर की समस्याए प्रमुख थी। परिषद के अध्यक्ष महापौर नवीन जैन ने नगर विकास मंत्री को बताया कि प्रदेश के सभी नगर निगम क्षेत्रों की सीमाओं का विस्तार हो रहा है। इसलिए निगम की सीमा में शहर के 40 प्रतिशत ऐसा क्षेत्र है जिसमें पेयजल पाइप लाइन और सीवर लाइन नही है। इन दोनों समस्या से हर नगर निगम जूझ रहा है। पेयजल पाइप लाइन और सीवर निकासी की उचित व्यस्था न होने से लोगों का आक्रोश फूट रहा है। इस कारण महापौरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

परिषद के अध्यक्ष नवीन जैन ने अमृत योजना के तहत जिन क्षेत्रों में पेयजल पाइप लाइन नही है पेयजल पाइप लाइन बिछाने और गंगा/यमुना प्रदूषण योजना के तहत सीवर लाइन डालवाने की मांग की जिससे प्रदेश के सभी नगर निगम के क्षेत्र सीमाओं में पेयजल और सीवर की समस्या खत्म हो सके। इतना ही नही शहरी विस्तार होने के कारण अधिकतर क्षेत्रो में नालों का निर्माण भी नही है जिसके कारण लोगों के घरों का पानी सड़को और कॉलोनियों में जमा हो रहा है। भीषण जलभराव के कारण लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं तो हादसों का शिकार भी हो रहे है। परिषद के अध्यक्ष ने मांग रखी कि नगर निगम के पास नाले निर्माण में 50 लाख तक की सीमा है जिसे बढ़ाकर एक करोड़ रुपये किया जाए और नाला निर्माण का काम जलनिगम से नही बल्कि नगर निगम से ही कराया जाए।

इसके बाद उत्तर प्रदेश महापौर परिषद की ओर से बैठक में जिन समस्याओं को लेकर चर्चा हुई और जो मांग बैठक में सभी की सहमति से पास हुई उन मांगो का एक ज्ञापन परिषद के अध्यक्ष महापौर नवीन जैन ने ज्ञापन सौंपा और इन मांग को पूरा कराने की अपील की। महापौर परिषद की बैठक में जनहित से जुड़ी नगर निगम से संबंधित उठाई गई।

सभी समस्याओं को नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने गंभीरता से लिया और जनहित में जुड़ी इन सभी समस्या के निदान का आश्वासन दिया। नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि इन समस्याओं के लिए प्रदेश सरकार गंभीर है। उन्होंने इन समस्याओं के निदान के लिए निगम के अधिकार बढ़ाये जाने के प्रति आश्वस्त भी किया।

उत्तर प्रदेश महापौर परिषद मांग पत्र:-

1:- उत्तर प्रदेश के समस्त नगर निगम राज्य वित्त आयोग की कटौती से अत्यधिक प्रभावित है जिसके कारण निगमों के कर्मचारियों को प्रतिमाह वेतन और पेंशन दे पाना संभव नही हो पा रहा है। इस समस्या के कारण कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है और उनसे सुचारू रूप से कार्य लेने में समस्या आ रही है। इसलिए तत्काल प्रभाव से राज्य वित्त आयोग से की जाने वाली कटौती को बंद किया जाए।

2:- कार्यकारणी समिति को 15 से 20 लाख रुपये तक के अधिकार है जिसे बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया जाए।

3:- विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद की अवस्थापना निधि नगर निगम को दी जाए जिससे विकास कार्यों में सामंजस्य बैठाया जा सके और जनहित में किये जाने वाले विकास कार्य तुरंत हो सके।
4:- नगर निगम सदन को 30 लाख रुपये तक के विकास कार्यों की स्वीकृति के अधिकार को बढ़ाकर एक करोड़ किया जाए।

5:- जलनिगम के कार्यों और नमामी गंगे, गंगा प्रदूषण सीवरेज योजनाओ में महापौर का अनुमोदन प्राप्त किया जाए।

6:- डूडा द्वारा कराये जाने वाले विकास कार्यों हेतु सदन/महापौर का अनुमोदन प्राप्त किया जाए।

7:- नगर निगम और जलकल विभाग में जो पद रिक्त चल रहे हैं, उन्हें तुरंत भरा जाए।

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