आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में बीएड सत्र 2004-05 के फर्जीवाड़े में एसआईटी (विशेष जांच दल) की सूची के आधार पर अब तक 4656 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों को फर्जी और टेंपर्ड घोषित किया जा चुका है। दो चरणों में 3635 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों को फर्जी और 1021 के प्रमाणपत्रों को टेंपर्ड माना है। अभी 45 डुप्लीकेट प्रमाणपत्रों पर निर्णय लिया जाना बाकी है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले चरण में फर्जी श्रेणी में शामिल 3637 अभ्यर्थियों की सूची दिसंबर, 2019 में सार्वजनिक कर अभ्यर्थियों से अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। 2,823 अभ्यर्थियों ने अपना पक्ष नहीं रखा। इन्हें सात फरवरी, 2020 को फर्जी घोषित कर दिया गया।
पक्ष रखने वाले 814 अभ्यर्थियों पर 29 जुलाई, 2020 को निर्णय लिया गया। इनमें से 812 अभ्यर्थियों को फर्जी घोषित कर दिया गया। दो अभ्यर्थी पूर्व छात्र के रूप में संबंधित सत्र की परीक्षा में शामिल हुए थे, इनको बाहर कर दिया गया। 812 में से सात अभ्यर्थियों का पक्ष एक बार और सुने जाने का आदेश हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को दिया था। इनका पक्ष सुना गया था, साक्ष्य उपलब्ध न कराने पर इन्हें भी फर्जी मान लिया गया।