Agra. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माना कि टूरिज्म ट्रेड के पनपने के लिये एयर कनेक्टिवी बहुत ही जरूरी है लेकिन सरकारें आगरा के परिप्रेक्ष्य में भी इस जरूरत को नजर अंदाज कर रही है जिसे किसी भी कीमत पर सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा बर्दाश्त नहीं करेगी। ये व्यक्तव्य सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में कहे गए। सोसाइटी के पदाधिकारियों ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि चुनाव से पहले आगरा में पीएम बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने आगरा में भी एयरपोर्ट बनने पर जोर दिया लेकिन पीएम बनने के बाद भी इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया है।
बसपा सरकार में एयरपोर्ट को बाहर लाने की हुई थी कवायद
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के अध्यक्ष शिरोमणि सिंह का कहना है कि यह बात प्रासंगिक लगे या नहीं लेकिन एक सच्चाई है कि बहुजन समाज पार्टी की मायावती सरकार के समय आगरा सिविल एन्कलेव को एयरफोर्स परिसर से बाहर लाकर जन पहुंच लायक बनाने के लिए जो कार्रवाई हुई थी। उसके बाद के चरण को न तो अखिलेश यादव की सरकार के समय सही प्रकार से आगे बढ़ाने का काम किया गया न ही बाद में आई डबल इंजन की भाजपा सरकार ने इस कवायद को आगे बढ़ाया। आगरा की आधारभूत जरूरतों को लेकर जो भी कार्य हुए कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार के बाद बसपा की मायावती सरकार तक ही जारी रह सके।
सिविल सोसाइटी ने कहा कि उ प्र सरकार सिविल एन्कलेव वायुसेना परिसर से बाहर लाये जाने से संबंधित मुकदमे में जब से पक्षकार बनी है, तब से उसकी भूमिका केवल तटस्थ बने रहकर न्यायिक आदेशों के अनुपालन मात्र की ही न रहकर वाद में सक्रिय भागीदार की हो चुकी है। चूंकि सरकार पक्षकार होने के बावजूद अक्सर जनता का पक्ष या शासन का पक्ष रखने में संकोची रहती है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों की जनपक्ष की प्रबलता मुखर करने में अधिक जिम्मेदारी होती है। सिविल सोसायटी की अपेक्षा है कि सरकार वाद में अपनी बदली भूमिका के अनुरूप अब तक कुछ भी नहीं कर सकी। नहीं आगरा के जनप्रतिनिधि दायित्व बोध के अनुरूप भूमिका में दिखे।
फ्लाइटों से वायुप्रदूषण नहीं
जनप्रतिनिधियों को सरकार पर दबाव बनाना चाहिये कि वह सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाये कि हवाई जहाज संचालन से वायु प्रदूषण नहीं बढता। दो मिनिट से भी कम समय में संपन्न होने वाली अपनी ‘लैंडिंग और टेक ऑफ’ संबंधित ऑपरेशन के अलावा सिविल एयरक्राफ्ट केवल उस एयर कॉरिडोर में ही उड़ता है जो कि सामान्यत: 41000 मीटर की ऊंचाई पर चिन्हित है। यह बादलों की ऊंचाई से भी एक हजार मीटर अधिक ऊंचा है और बादल ताज ट्रिपेजियम जोन के अध्ययन या प्रबंधन की सीमा में नहीं आते। इस प्रकार आगरा के सिविल एन्कलेव के वायुसेना परिसर से बाहर लाये जाने के तमाम प्रयासों को निष्प्रभावी बनाये जाने की कोशिश करने वालों की आशंकाये महज काल्पनिक हैं। कल्पाओं के आधार पर समक्ष लाये जाने वाले वादों को न्यायपालिका महत्व नहीं देती जैसा कि फिल्म अभिनेत्री जूही चावला के 5G संबंधित वाद (PIL))में कोर्ट के रूख से स्पष्ट है। अत:अगर जनप्रतिनिधि जरा भी गंभीरता से शासन के समक्ष तथ्यपरक जानकारियां रख सके तो सरकार को भी पक्षकार के रूप में उसे न्यायालय के समक्ष रखना होगा
ढांचागत योजनाओं को पूरा करवायें
आगरा से संबंधित मंत्री ने आगरा में फ्लाइटें बढाने की मांग की मुश्किलें सीमित मानी है, जबकि स्थिति यह है कि ढांचागत जरूरत और जन पहुंच लायक सिविल एन्कलेव का होना यहां की अहम आवश्यकताएं हैं। सामान्य व्यक्ति अपने आधार कार्ड के बूते पर सिविल एयरपोर्ट तक न आ सकता है, न ही वहां से लौट सकता है। आगरा का एयरपोर्ट केवल वी आई पी गैस्टो -उनके होस्टों और चुनिंदा एयरलाइंस के पैसेंजरों की पहुंच तक सीमित है। आगरा के विकास पर खासकर सेवा क्षेत्र की गुणवत्ता व विश्वसनीयता पर सहज पहुंच वाली एयर कनैक्टिविटी की कमी का भारी प्रतिकूल असर है।
नागरिक उड्डयन मंत्री आगरा बुलाये जाये
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का मानना है कि नागरिक उड्डयन मंत्री को आगरा आमंत्रित किया जाये जिससे कि उनका ध्यान वायु यातायात से संबधित स्थानीय की ओर आकर्षित किया जाये। इससे तमाम फाइलों का निस्तारण तेजी से करवाना संभव हो सकेगा जो कि लम्बे समय से सरकार के पास लंबित हैं।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा, का मानना है कि नागरिक उड्डयन सेवाओं से संबंधित जन अपेक्षाओं खासकर आम नागरिक उपभोक्ताओं के साथ एविएशन मिनिस्ट्री से संवाद बढ़ाये जाने की जरूरत है। वर्तमान में सिविल एन्कलेव के प्रबंधन को लेकर ही प्रबंधन में सुधार को सुझाव देने तक समिति ही बनी हुई है जिसकी भूमिका जन जानकारी में नहीं आ पा रही है। यू पी सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग को भी नागरिक से सीधा संवाद बनाये जाने का प्रयास करना चाहिये।
अगर सिविल एयरपोर्ट को वायुसेना परिसर से बाहर ले जाये जाने की योजना है और उ प्र सरकार की मंशा हो तो अर्जुन नगर गेट पर पैसेंजर लाऊंज बनाये जाने की योजना का क्रियान्वयन करने का कोई औचित्य नहीं है। सरकारी प्रयासों के अनुसार अगर सिविल एन्कलेव धनौली शिफ्ट हो गया तो महज दो वित्तीय वर्षों के लिये करोड़ों रुपये खर्च करने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि सिविल एन्कलेव को धनौली में शिफ्ट करने का काम जितनी भी तेजी के साथ संभव हो शुरू कर दिया जाना चाहिये जिससे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने दूसरे कार्यकाल में ही इसका उद्घाटन करने का अवसर मिल सके।