सोमवार को संसद में एक बार फिर आगरा की आवाज गूंजी। लोकसभा में उभय लिंगी यानि मंगला मुखियों के अधिकारों के संरक्षण विधेयक पर सांसद बघेल ने अपनी बात रखी। उन्होंने संसद में ताली पीट रहे कांग्रेस सांसदों पर जमकर तंज कसा और इस बिल के समर्थन में अपनी बात रखते हुए कहा कि इस विधेयक से देश के करीब 20 ट्रांस जेंडर्स को समानता, शिक्षा और रोजगार का अधिकार मिल जाएगा।
सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने जैसे ही सदन में उभय लिंगी संरक्षण बिल के पक्ष में अपनी बात रखनी शुरु की, कांग्रेसजनों ने लोकसभा में हंगामा शुरु कर दिया। जिस पर तंज कसते हुए सांसद ने कहा कि मंगलामुखियों के वैलफेयर का ये विधेयक है, जिनकी बद्दुआ लग गयी तो जहां हैं, वहां से भी गायब हो जायेंगे। उन्होंने अपनी बात आगे रखते हुए कहा कि इस विधेयक के बाद अब मंगलामुखियों को सामाजिकता और शिक्षा के साथ ही चिकित्सा और रोजगार का अवसर मुहैया कराएगा। उनको अब ताली बजाने की जरुरत नहीं पड़ेगी, इसलिए विपक्षी ताली बजाकर उनका काम न करें।
सांसद ने इस विधेयक के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि इस विधेयक में लोहिया का गैर बराबरी, बाबा साहब का समता मूलक समाज और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय की झलक देखने को मिल रही है।सांसद ने संसद में कहा कि संविधान शिल्पियों से आखिर गलती कैसे हो गयी। संविधान बहुत ही विद्वान लोगों ने लिखा है। सांसद ने कहा कि आर्टिकल – 14 में समानता का अधिकार है जिसमें पुर्लिंग और स्त्रीलिंग का तो वर्णन है, लेकिन उभयलिंगी का वर्णन नहीं है। आखिर 19 से 20 लाख की आबादी अधिकारों से वंचित कैसे रह गयी। इस आबादी को आज न्याय देने का काम पीएम मोदी और सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलौत ने किया है। सांसद ने लोकसभा में पटल पर इस विधेयक के समर्थन में अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि जब मानव के शरीर की एनाटॉमी एक है तो उन्हें समान नागरिक अधिकारों से वंचित क्यों रखा गया। इस वर्ग को न्याय देने के लिए पीएम मोदी और सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलौत बधाई के पात्र हैं।
सांसद ने संसद में थर्ड जेंडर पर अत्याचार और भेदभाव का आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि एक सर्वे के अनुसार 40 फीसदी उभयलिंगी मानसिक हिंसा, शारीरिक छेड़छाड़, बलात्कार, घर से बेदखली, गैर बराबरी, नौकरियों में भेदभाव, शिक्षण संस्थानों में पक्षपात का शिकार होना पड़ता था, यही नहीं माता पिता द्वारा त्यागना और नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलने के साथ ही सम्पत्तियों से बेदखल करने के साथ ही पुलिस उत्पीड़न का शिकार भी उभय लिंगी होते रहे हैं। सांसद ने थर्ड जेंडर संरक्षण बिल के समर्थन में कहा कि इन्हें कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। उन्होंने महाभारत में शिखंडी की भूमिका का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह एक उभयलिंगी महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय का कारक बना था। इसलिए इन्हें कमजोर न आंकें। सांसद ने कहा कि थर्ड जेंडर को पहले असमानता की दृष्टि से नहीं देखा जाता था। जब पांडवों का अज्ञातवास था तब अर्जुन वृहन्नला के रुप में रहे थे और राजकुमारी उत्तरा को नृत्य सिखाया था। सांसद ने आगे बोलते हुए कहा कि मुगल बादशाहों और राजाओं के दरबार खास में उनका स्थान होता था।
सांसद ने एक बार फिर विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है, इस ऐतिहासिक दिन पर जब समाज में गैरबराबरी झेल रहे थर्ड जेंडर के हितों का विधेयक लाया गया है, उसमें भी रोड़े अटकाने का काम कर रहे हैं। सांसद ने अपनी दलील देते हुए कहा कि थर्ड जेंडर को समाज में जो गैरबराबरी की नजर से देखा जाता था। तमाम जगह उनके माता-पिता बच्चे का जेंडर पता चलते ही उसे स्लो पॉइजन देकर मारने का प्रयास करते थे। अब अगर किसी के यहां ये स्पेशल बच्चा पैदा होता है, तो उसकी शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय और उसके अधिकारों का विधेयक पास कर उन्हें सामाजिक बराबरी का जो अधिकार दिया है, उसके लिए पीएम मोदी, सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलौत और उनके राज्यमंत्री का आभार भी जताया।
आपको बता दें कि थर्ड जेंडर के अधिकारों के संरक्षण का ये बिल लोकसभा चुनाव से पहले संसद में पेश किया गया था। इस विधेयक पर चर्चा सोमवार को हुई, जिसमें भाग लेते हुए सांसद बघेल ने थर्ड जेंडर के अधिकारों वाले इस बिल का विरोध कर रहे विपक्ष को निरुत्तर कर दिया।