आगरा। जो लोग बेटियों को बुरा समझते थे आज वही बेटियां परिवार के साथ साथ देश का अभिमान बढ़ा रही हैं। आज बेटों की अपेक्षा बेटियों के नाम से उनके पिता और परिवार को जाना जा रहा है। ऐसा ही कुछ करना होगा कि एक बेटी ने कर दिखाया है। आगरा निवासी सेवानिवृत सैनिक रामकुमार की बेटी वर्षा चौहान ने AFMC (सैन्य मेडीकल कॉलेज) पुणे से MBBS की सफलतापूर्वक डिग्री लेने के बाद वर्षा चौहान सेना में लेफ्टिनेंट पद पर चयन हुआ है। वर्षा चौहान के इस पद पर चयनित होकर वर्षा ने अपने परिवार के साथ साथ आगरा का भी मान बढ़ाया है और अन्य बेटियों को भी आगे बढ़ने के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उभरी हैं। वर्षा चौहान की प्रथम तैनाती पठानकोट में हुई है।
वर्षा चौहान के परिवार में देश सेवा कूट-कूट कर भरी हुई है वर्षा के दादा व पिता दोनों ही सेना में थे। पिता मिलिट्री स्कूल धौलपुर में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ शिक्षा प्राप्त करने के बाद सेना के ही मेडिकल कोर में गए। काबुल (अफगानिस्तान) में अपनी तैनाती के दौरान फिदायीन हमले का सकुशल मुकाबला कर अपनी व कई सैनिकों की जान बचाई थी। हालांकि उस हमले में 6 हिंदुस्तानी सैनिक शहीद हुए थे।
लेफ्टिनेंट वर्षा चौहान की सम्पूर्ण शिक्षा आगरा के ही केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 में हुई थी। ये उसके जुनून का ही नतीजा है कि देश के प्रतिष्टित मेडीकल कॉलेज AFMC में प्रवेश लिया। इसमें सम्पूर्ण देश से प्रत्येक वर्ष मात्र 25 लड़कियों का ही चयन हुआ है। जिसमें वर्षा भी शामिल है।
आज वर्षा चौहान अपने नए सैन्य डॉक्टरों के साथ झेलम एक्सप्रेस से पठानकोट प्रथम तैनाती पर निकल रही थी तो पत्रकारों से भी रूबरू हुई। उन्होंने बताया कि शुरू से ही उनका मन सेना में जाने का था देश सेवा करने का जज्बा होना विरासत में मिला है। दादा सेना में थे तो पिता ने भी आर्मी ज्वाइन कर देश सेवा की और आज मैं उसी परंपरा को आगे निभा रही हूं। जब तक शरीर में खून का एक एक कतरा रहेगा देश सेवा करती रहूंगी।