Agra. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस वनवास काट रही है है। प्रभु श्री राम का वनवास तो 14 साल में खत्म हो गया था लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का यह वनवास लगभग 30 साल बीत जाने के बाद भी खत्म नहीं हो पाया है। आलम यह है कि राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस इस प्रदेश में इस समय अपनी राजनीतिक जमीन बचाने में जुटी हुई है। प्रदेश में लगभग 30 वर्ष से सरकार नहीं है और आगरा जिले से एक भी विधायक व सांसद नहीं बन पाया है। कांग्रेस का प्रदेश में इस वनवास को खत्म करने की जिम्मेदारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के कंधों पर है। कार्यकर्ताओं को एकजुट कर खिसकती जमीन को प्रियंका स्थिर कर रही है तो संगठन को भी दुरुस्त किया का रहा है लेकिन वनवास को खत्म करने के लिए इससे काम नहीं चलेगा। उसके लिए विधायक और सांसद चाहिए।
पंचायत चुनाव में भले ही कुछ करिश्मा न हो पाया हो लेकिन विधानसभा चुनाव नई रणनीति के साथ लड़ा जाएगा। इस रणनीति के साथ ही प्रत्याशी का चुनाव होगा। हाई कमान की ओर से नई रणनीति से काम किया जा रहा है और इस बार समय से पहले ही प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया है लेकिन यह सिर्फ संभावित प्रत्याशी के रूप में उतारा गया है। जो क्षेत्र में दिखेगा और रिपोर्ट अच्छी होगी उस पर जल्द से जल्द मुहर लग जायेगी।
संभावित प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस हाई कमान के निर्देश पर जिला कांग्रेस ने प्रत्याशियों के पैनल बनाकर नाम भेज दिए है। हर विधानसभा से लगभग 4-4 नाम है। जो चुनाव लड़ना चाहते है, धनबल के साथ साथ सामाजिक प्रतिष्ठा और साख भी है। इतना सब कुछ रणनीति के साथ होने के बावजूद आगरा जिले की तीन विधानसभाओं पर खेल खराब हो सकता है। इन तीन विधानसभाओं पर तीन प्रत्याशी खेल बिगाड़ सकते है जो हाल ही में बसपा से बगावत करके कांग्रेस में शामिल हुए थे। यह बसपा से विधायक रहे है। जिन्हें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने फतेहपुर सीकरी लोकसभा चुनाव के दौरान काँग्रेस की सदस्यता दिलाई थी और कांग्रेस में शामिल कराया था।
सूत्रों की माने तो तीनों पूर्व विधायक अपने अपने क्षेत्र में पिछले कई सालों से सक्रिय है और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन विडंबना यह है कि तीनों विधायक अभी तक कांग्रेस की किसी भी मीटिंग में भी नजर नहीं आये है। इन तीनों ने चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस जिला अध्यक्ष से कोई सम्पर्क नहीं किया है और न ही जिला अध्यक्ष द्वारा भेजे गए पैनल में इनका नाम है। पार्टी जिला अध्यक्ष के लिए चिंता की बात बनी हुई है कि यह तीनों पूर्व विधायक किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। अगर कांग्रेस से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो पार्टी में सक्रिय रहना होगा और अगर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे तो कांग्रेस के लिए फिर से संकट खड़ा हो जाएगा। 9 में से 6 सीट बिना चुनाव लड़े कांग्रेस हार जाएगी।