आगरा। कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल होने के लिए आगरा के कांग्रेसियों ने खासा मशक्कत करनी पड़ी थी। कांग्रेसियों ने पीसीसी के लिए प्रदेश अध्यक्ष राजबबर से लेकर शहर के साथ-साथ जिला अध्यक्ष तक की परिक्रमा लगाई। आलम यह था कि हर कोई पीसीसी सदस्य बनने के लिए एक दूसरे की काट करने में लगा हुआ था और अध्यक्ष को खुश करने के लिये हर कला अपनाई जा रही थी लेकिन जिन लोगों पर शहर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की सीधी निगाह हो गई उसका नाम पैनल में भेजा गया और वह पीसीसी सदस्य बन गया।
यह आलम तब का है जब कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपी जानी थी और उसके लिए जिला अध्यक्ष और शहर अध्यक्ष की रजामंदी भी जरूरी थी। इसी दौरान लखनऊ में हुए एक सम्मेलन के दौरान अपने अपने पीसीसी कार्यकर्ताओं की सूची शहर और जिला अध्यक्ष ने प्रदेश अध्यक्ष को सौंपी। जिस सूची पर वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने मोहर लगा दी थी। जिसके बाद आगरा शहर में कांग्रेस पार्टी में घमासान भी देखने को मिला था लेकिन ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के दिल्ली में होने वाले सम्मेलन से पहले पीसीसी सदस्यों की जो सूची सामने आई है उसने कांग्रेस के एक खेमे में खुशी की लहर दौड़ा दी है तो दूसरे खेमे के चेहरे लटक गए हैं। क्योंकि पीसीसी की नई सूची में उन लोगों के नाम काट दिए गए हैं जो पहले वाली सूची में शामिल थे। इन लोगों ने अपने नाम के साथ साथ पीसीसी सदस्य कांग्रेस लिखना भी शुरु कर दिया था।
इस पूरे घटनाक्रम पर जब कांग्रेसियों से वार्ता हुई तो कांग्रेसियों का आक्रोश भी देखने को मिला। सभी लोगों ने अपनी अपनी राय दी। जिन लोगों के नाम कटे हैं उनका आरोप था कि यह सब प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर का किया धरा है। बिना उनकी सहमति के नाम नहीं काटे जा सकते थे।
कुछ कांग्रेसियों का कहना था कि यह हाईकमान का फैसला है इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। जिस तरह से पीसीसी सदस्यों की नई सूची सामने आई है उसने एक बार फिर कांग्रेस में भूचाल ला दिया है। इस सूची में कुछ ऐसे भी लोग है जिनका दूर दूर तक नाम नहीं था।
इस सूची पर कुछ कांग्रेसियों ने हर्ष भी व्यक्त किया उनका कहना था कि भले ही इस बार भी उनका नाम कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल नहीं हुआ हो लेकिन इस सूची ने अध्यक्ष के दामन पर दाग जरूर लगा दिए हैं क्योंकि पीसीसी बनने के पीछे की कहानी जगजाहिर है।