कोरोना महामारी की दूसरी भयावह लहर में गर्भवती महिलाओं की भी कोरोना की चपेट में आने से मौत हुई है। वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक प्राथमिकता के आधार पर प्रेग्नेंट महिलाओं का टीकाकरण कराने की जरूरत को समझते हुए जोर दिया जा रहा है। दरअसल चिकित्सकों की एक टीम ने प्रेग्नेंट महिलाओं की मृत्यु के आंकड़ों पर रिपोर्ट तैयार करते हुए गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करवाने की जरूरत को समझा है।
डॉक्टर यामिनी सरवाल के नेतृत्व में दिल्ली स्थित वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज और सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों के एक ग्रुप ने यह विशेष रिपोर्ट तैयार की है जिसमें उन्होंने कहा है कि मातृ और शिशु मृत्यु दर में कोरोनावायरस के कारण और वृद्धि ना हो इसके लिए गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए उच्च प्राथमिकता वाले समूह में शामिल किया जाना जरूरी है। इसलिए भारत सहित सभी देशों में कोरोना का टीका गर्भवती महिलाओं को चिकित्सीय देखरेख में लगाने की सिफारिश की गई है।
हालांकि अभी गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए प्राथमिकता समूह में शामिल नहीं किया गया है। इतना ही नहीं गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को लेकर स्पष्ट नीति ही नहीं है। सरकार की ओर से यह फैसला गर्भवती महिला पर ही छोड़ दिया गया है कि वह टीका लगवाना चाहती है या नहीं। लेकिन रिपोर्ट में माना जा रहा है कि सामान्य महिलाओं की अपेक्षा गर्भवती महिलाओं के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के चांसेस ज्यादा हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को कोरोना का सुरक्षा कवच के तौर पर जरूर देना चाहिए।
बता दें एम्स में सोमवार यानी आज से 2 वर्ष से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों पर कोरोना टीकाकरण का परीक्षण शुरू हो चुका है। यह परीक्षण 8 हफ्तों में पूरा किए जाने का फैसला लिया गया है। इस परीक्षण में भारत बायोटेक और आइसीएमआर की कोवैक्सीन का बच्चों के रोग-प्रतिरोधी तंत्र पर असर का अध्ययन किया जाएगा। हालांकि इससे पहले एम्स पटना और अन्य जगहों पर परीक्षण किया जा चुका है।