Home » आवास विकास परिषद के इस सेवानिवृत्त अधिशाषी अभियंता पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

आवास विकास परिषद के इस सेवानिवृत्त अधिशाषी अभियंता पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

by admin

आगरा। उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद लखनऊ में आवास विकास परिषद झांसी के अधिशासी अभियंता सतेंद्र कुमार पचौरी पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार करने की शिकायत की गई है। सतेंद्र पचौरी के खिलाफ पूर्व में भी शिकायत की गई थी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि सतेंद्र ने अपने पद और भ्रष्टाचार के बल पर उन शिकायत की पत्रावलियों को भी गायब करा दिया है जिसके चलते उनके खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

बताते चलें कि आगरा के एडवोकेट संजीव कुमार सिसोदिया ने आगरा के जिलाधिकारी कार्यालय में आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता सतेंद्र कुमार पचौरी के खिलाफ शिकायत की थी। शिकायतकर्ता ने सतेंद्र के खिलाफ आगरा विभाग में रहते हुए लगभग 16 लाख रुपए का फर्जी भुगतान करते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। तब तत्कालीन आगरा डीएम गौरव दयाल ने तत्कालीन संयुक्त आवास आयुक्त आगरा जोन रेनू तिवारी को इसकी जांच सौंपी थी। जिसमें सतेंद्र कुमार को 16 लाख रुपए का गबन का दोषी पाया गया था। तब यह 16 लाख रुपए की रिकवरी के आदेश इनकी वेतन से काटने के किए गए थे।

Serious allegations of corruption on this retired Executive Engineer of Housing Development Council

शिकायतकर्ता का आरोप है आगरा से झांसी ट्रांसफर होने के बावजूद सतेंद्र कुमार अपने पद का दुरुपयोग करते रहे और करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। सतेंद्र कुमार के पास करोड़ों की बेनामी संपत्ति है। आवास विकास आगरा की योजना में कई भूखंड और एचआईजी मकान इनके पास है जबकि कमला नगर जैसे पॉश एरिया में कई क्वार्टरों पर उनका कब्जा हो रखा है। वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने रसूख और पैसों के दम पर उन सभी आदेशों की फाइलों को दफन कर दिया जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया या उनके खिलाफ जांच की गई थी।

एडवोकेट संजीव कुमार सिसोदिया ने बताया कि 31 जनवरी 2021 को सत्येंद्र कुमार आवास विकास परिषद झांसी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन उनके द्वारा विभाग में किए गए करोड़ों के भ्रष्टाचार और शासन के ईमानदार अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करना उन्हें दुख देता है। इसलिए उन्होंने एक बार फिर से सत्येंद्र पचौरी के खिलाफ जांच करने की मांग प्रशासनिक अधिकारियों से की है।

उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ अगर बेनामी संपत्तियों की जांच की जाएगी तो वे उत्तर प्रदेश के दूसरे यादव सिंह साबित हो सकते हैं। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से अन्य एजेंसियों के माध्यम से जांच कराने की अपील की है और कहा है कि जरूरत पड़ने पर मेरे द्वारा भी साक्ष उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

Related Articles