Agra. भैया दूज की पावन पर्व पर ताजगंज क्षेत्र में पहलवानों ने दंगल करने की परंपरा को जारी रखा। इस दंगल में आगरा के अलावा दूर दराज से हर उम्र के पहलवान अपना दमखम दिखाने के लिए पहुंचे थे। दंगल करने वाली कमेटी ने नियमों के अनुसार इस दंगल को कराया। इस दंगल में 1000 से लेकर 31000 रुपए तक की कुश्ती कराई गई। दंगल को देखने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे।
आपको बताते चले कि ताजगंज क्षेत्र में दंगल कराये जाने की परंपरा सैकड़ो वर्ष पुरानी है। ताजगंज क्षेत्र से ही बड़े-बड़े पहलवान निकले थे जिन्होंने दंगल और कुश्ती में आगरा का नाम रोशन किया था। उन्हीं की याद में इस दंगल व कुश्ती कराई जाने की परंपरा को राठौर समाज ने बरकरार रखा है। दंगल व कुश्ती आयोजन समिति में शामिल प्रमोद कुमार राठौर ने बताया कि यह कुश्ती व दंगल उनके बुजुर्गों के समय से होता चला रहा है। जब वह छोटे थे तभी से कुश्ती और दंगल देखते हुए आए हैं। उनके बुजुर्गों के गुजर जाने के बाद अब इस परंपरा को हम सभी लोग निभा रहे हैं। दंगल व कुश्ती भी नियम के अनुसार ही कराई जाती है साथ ही कुश्ती के दौरान जो लोग नियमों को तोड़ते हैं उन्हें दंगल से बाहर कर दिया जाता है। दंगल व कुश्ती शुरू होने से पहले ही सभी लोगों को समझा दिया जाता है कि यह एक खेल है जिसमें हाजीत लगी रहती है, इसे प्रतिष्ठा न बनाये।
अमरनाथ पहलवान बताते हैं कि यह एक भारतीय खेल है। वह आज भी अखाड़ा चलते हैं और जिन्हें पहलवान व कुश्ती का शौक है ऐसे लोगों को पहलवान ही व कुश्ती के गुण भी सिखाते हैं। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों की परंपरा को आज भी वह निभा रहे हैं। इस दंगल में पहलवान अपना दमखम व खेल दिखाने के लिए आते हैं। ताजगंज क्षेत्र में जो कुश्ती व दंगल होता है पूरे आगरा में कहीं नहीं होता है। यहाँ पर एक हजार से लेकर 31 हजार तक की कुश्ती कराई जाती है।