Agra. सामाजिक वैधानिक सूचना केंद्र की ओर से यूथ होस्टल आगरा में बंधुआ श्रमिक व विकलांग अधिकार विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के अधिकारों व श्रमिकों की वर्तमान स्थिति पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी।
कार्यशाला का संचालन करते हुए निर्मल कुमार ने कहा कि इस समय श्रमिकों की हालत चिंताजनक बनी हुई है। कोरोना के बाद मजदूरों की स्थिति बद से बदतर हो गई है। मजदूरों को विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है तो वहीं विकलांग मजदूरों की स्थिति तो और ज्यादा बुरी है। क्योंकि विकलांग का श्रमिक कार्यालय में मजदूरी के लिए पंजीकरण नहीं होता और उसे सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ नहीं मिल पाता है। विकलांग मजदूरो के कानून को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया जाये।
इतना ही नहीं अभी भी देश में बंधुआ मजदूरी जारी बंधुआ मजदूरी के खिलाफ भी अपनी आवाज को बुलंद करना होगा। क्योंकि जब मजदूर बंधुआ बन जाता है तो उसे न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती है। सरकार है कि इस और कोई ध्यान नहीं दे रही है। बंधुआ मजदूर के प्रति कानून सख्त बनाने और इस समस्या पर ध्यान सरकार का केंद्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश ग्रमीण मजदूर सगंठन अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि असगंठित क्षेत्र बहुत बड़ा क्षेत्र है। चाहे वो ईंट भट्टा श्रमिक, पत्थर खदान क्षेत्र, भवन निर्माण क्षेत्र हो या खेतिहर मजदूर हो। इन क्षेत्रों में लाखों श्रमिक कार्य करते जो कि वर्तमान समय में नाजुक दौर से गुजर रहा है, श्रमिक वर्ग में तभी बदलाव हो सकता है जब उन्हे नियमित रोजगार और उचित मजदूरी सुलभ हो व उनके बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत अनिवार्य नियमित शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाये। इसके साथ ही महिला श्रमिकों को समान परिश्रम का समान वेतन दिया जाये।
असंगठित कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष के अध्यक्ष बिजेन्द शर्मा बुन्देलखण्ड़ के पत्थर खदान श्रमिकों पर चर्चा करते हुए कहा कि इस सेक्टर के श्रमिक सबसे बुरे हालातों में काम करता हैं और उनके जीवन का अतं मजदूरी करते—करते हो जाता हैं। इस क्षेत्र के श्रमिको के हालातों को सुधारने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
हरिमोहन कुशवाहा ने कहा कि पत्थर खदान श्रमिकों को बिना सुरक्षा उपकरणों के काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिससे इस क्षेत्र के श्रमिकों की बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है, साथ ही पत्थर खदान श्रमिकों के कल्याण के लिए सिलिकोसिस बोर्ड़ की स्थापना की जाए।
कार्यशाला में इटंक के जिलाध्यक्ष भगवान सिह सोलंकी, दलवीर सिंह, प्रेम नारायण, कुलदीप सिंह, पिंकी जैन, प्रेमप्रकाश, ईंट भट्टा मजदूर आदि ने अपने जमीनी स्तर के अनुभव साझा किये।