पौराणिक कथाओं, लोककथाओं और यहां तक कि फिल्मों में भी बड़े पैमाने पर गलत तरीके से प्रस्तुत किए गए सरीसृपों को लोगों ने हमेशा भय और शत्रुता की नज़रों से ही देखा है, जिससे इस प्रजाति के साथ मानवों के संघर्ष की घटनाएं होती हैं। पहले पारिस्थितिकी तंत्र (ईकोसिस्टम) में इन सरीसृपों की महत्वपूर्ण भूमिका की जागरूकता में कमी के कारण सांपों पर नज़र पड़ते ही उन्हें उसी क्षण मार दिया जाता था। लेकिन, सांपों की वास्तविकता और उनके महत्व के बारे में ज्ञान और जागरूकता फैलाने में मदद करने के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस जैसी संस्थाओं के निरंतर प्रयासों ने गलत समझे जाने वाले इन सरीसृपों के खिलाफ डर को कम करने में काफी मदद की है।
वाइल्डलाइफ एसओएस हर दिन कई सांप से जुड़ी रेस्क्यू कॉल्स का जवाब देने के लिए चौबीसों घंटे काम करती है। कोबरा और कॉमन क्रेट जैसे जहरीले सांपों से लेकर वुल्फ स्नेक, इंडियन रैट स्नेक और इंडियन रॉक पाइथॉन (अजगर) जैसे गैर-विषैले सांपों के बचाव अभियान शामिल हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस लोगों को शिक्षित और संवेदनशील बनाने और सरीसृपों के बारे में ज्ञान प्रदान करने के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशालाएं भी आयोजित करती है, जिससे कुछ लोकप्रिय मिथकों और सांपों के बारे में झूठी धारणाओं को दूर करने में भी मदद मिलती है, जो लोगों के मन में घर बना चुके भय से छुटकारा पाने में भी मदद करता हैं।
इस बढ़ती जागरूकता को आगरा में वाइल्डलाइफ एसओएस के 24×7 रेस्क्यू हेल्पलाइन पर प्राप्त होने वाली कॉल्स के रूप में समझाया जा सकता है l पिछले तीन महीनों में 500 से अधिक सरीसृप बचाव कॉल प्राप्त हुए और संस्था की रैपिड रिस्पांस यूनिट ने 350 से अधिक सरीसृपों को सफलतापूर्वक बचाया है। अगस्त, 2021 में यह आंकड़ा 111 सरीसृपों के रेस्क्यू का था, जो सितंबर में बढ़कर 123 हो गया और अक्टूबर, 2021 में 125 रैपटाईल रेस्क्यू किये गए।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “सरीसृप जैसे सांप और मॉनिटर लिजार्ड बेहद ही शानदार जानवर हैं, लेकिन हमेशा से ही गलत तरीके से समझे गए हैं। मामलों को अपने हाथों में लेने या इससे भी बदतर, सरीसृप को मारने के बजाय हमारी हेल्पलाइन पर कॉल करने का निर्णय लेने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि देखना खुशी की बात है। कभी-कभी, वे पुलिस या वन विभाग को भी कॉल करते हैं जो हमें इसकी सूचना वक़्त रहते देते हैं। हमारी टीम में प्रशिक्षित लोग हैं, जो कुशलतापूर्वक कार्य करते हैं। ”
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, “आगरा में बहुत कम सांप प्रजातियां वास्तव में जहरीली होती हैं और यहां तक कि ये सांप भी तब तक हमला नहीं करेंगे जब तक उन्हें उकसाया या डराया नहीं जाए। लोग अब इस बात का अतिरिक्त ध्यान रखते हैं कि साँपों को चोट न पहुंचे। रेस्क्यू कॉल्स के अलावा, लोग शहर में या उसके आसपास किसी सपेरे को सांप के साथ देखे जाने की सूचना भी देते हैं। हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करते रहें और हमारी हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर इस तरह के किसी भी घटना की सूचना दें।
रेस्क्यू कॉल्स का जवाब देने के क्रम में, वाइल्डलाइफ एसओएस टीम ने आगरा के मिढाकुर में स्थित श्री श्याम महाविद्यालय के सेप्टिक टैंक से पांच फुट लंबे जहरीले कोबरा सांप को बचाया। कोबरा को कुछ घंटों तक निगरानी में रखने के बाद वापस जंगल में छोड़ दिया गया।