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समाज सुधार को संस्कृत भाषा का उपयोग जरूरी – संत चिन्मयानंद

by pawan sharma

आगरा। आगरा आये राष्ट्रीय संत चिन्मयानंद बापू मून ब्रेकिंग से रूबरू हुये। इस वार्ता के दौरान उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि कलयुग में सिर्फ श्रीमद् भागवत कथा के रसपान से ही कल्याण हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा अमृत के समान हैं औऱ समाज के लिए भी इस का बहुत महत्व है।

उन्होनें ने अन्य विषय पर भी खुल कर अपने विचार भी रखे। तीन तलाक बिल को लेकर उनका मानना था कि यह महिलाओं के अधिकार का मामला हैं जो उनको मिलाना चाहिए। साथ ही उन्होंने देश मे एक कानून यानि यूनीफार्म सिविल कोड की भी जरूरत बताया।

दूषित हो रही समाज की सोच पर उनका कहना था कि आज का युवा पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित है जिसके कारण महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। समाज में टेक्नोलॉजी व इटरनेट के बढ़ते प्रयोग पर उनका कहना कि इटरनेट समाज पर अच्छे प्रभाव से जयादा गलत प्रभाव जयादा डाल रहा है, जिसके लिये हमको ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि गलत चीजें हमारे बच्चों व युवाओं तक न पहुँचे। समाज में संस्कृत भाषा उपयोग को बढ़ाने की आवश्यकता भी बतायी जिससे भारतीय ग्रंथों को मूल रूप मे पढ़ने वालों की संख्या बढ़ सके।

संत चिन्मयानदं ने समाज के कल्याण के लिये संस्कृत भाषा को महत्वपूर्ण बताया औऱ अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिये युवा वर्ग को प्रेरित किया।

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