लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाता अब मतदान समय से एक घंटा बाद तक मतदान कर सकेंगे। आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान का समय एक घंटा बढ़ाया जाएगा। चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता पंजीकरण का कार्यक्रम भी चल रहा है। इसके लिए काफी मेहनत हुई है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी है ।उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने तमाम राजनीतिक पार्टियों से बात की है और सुझाव लिए हैं। सभी पार्टियां समय से चुनाव करने की सहमति जता रही हैं। राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद सभी एसपी, डीआईजी, कमिश्ननर से मिलकर हालात का जायजा लिया गया। इसके बाद सभी नोडल अधिकारियों से चर्चा की गई। कुछ दलों ने कोविड प्रोटोकॉल के बिना पालन किए होने वाली रैलियों पर चिंता जताई है।
52.8 लाख नए मतदाता जुड़ें
चुनाव आयुक्त ने बताया कि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख तक भी मतदाता सूची में अपने नाम को लेकर दावे-आपत्ति बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार 52.8 लाख नए मतदाता जुड़े हैं। इनमें 19.89 लाख युवा मतदाता हैं, जिनमें से 23.9 लाख पुरुष और 28.8 लाख महिला मतदाता हैं। उत्तर प्रदेश में इस वक्त 10 लाख 64 हजार 267 दिव्यांग मतदाता हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि कम से कम 800 पोलिंग स्टेशन ऐसे बनाए जाएंगे, जहां सिर्फ महिला पोलिंग अधिकारी होंगे। मतदाता एपिक कार्ड के अलावा 11 अन्य दस्तावेज दिखाकर वोटर वोट डाल सकता है। इसमें पैन कार्ड, आधार कार्ड, मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेज शामिल हैं।
कोराना को देखते हुए बढ़ेंगे 11 हजार बूथ
चुनाव आयोग ने कहा कि कुछ प्रतिनिधियों ने प्रशासन के पक्षपाती रवैये के बारे में शिकायत की। पुलिस द्वारा रैलियों पर अनुचित प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कोरोना को देखते हुए 1500 लोगों पर एक बूथ को घटाकर 1250 लोगों पर एक बूथ कर दिया गया है। इससे 11 हजार बूथ बढ़े हैं। हर पोलिंग बूथ पर पानी, बिजली और शौचालय की व्यवस्था होगी। दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर और रैंप की व्यवस्था होगी।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनने का पार्टी को बताना होगा कारण
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को मीडिया में यह प्रसारित करना होगा कि उनके खिलाफ कौन-सी धाराएं लगी हैं, कौन-से मामले चल रहे हैं। राजनीतिक दलों को भी यह प्रसार करना होगा कि उन्होंने ऐसी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को क्यों चुना है?