आगरा। कोरोना काल के बाद शुरू हुई सर्दी में पहली बार कोहरे ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। मंगलवार को जब लोग सो कर बिस्तर से उठे थे तो कोहरे की धुंध पूरे ताजनगरी पर छाई हुई थी। कोहरे की सफेद चादर ने पूरे शहर को अपने आगोश में ले लिया था। जहां एक तरफ शहरवासी कोहरे का लुफ्त उठा रहे थे तो वहीं मोहब्बत की निशानी दुनिया का सातवां अजूबा कहे जाने वाले विश्वदाई स्मारक ताजमहल में निहारने वाले पर्यटकों में मायूसी देखी जा रही थी। कोहरे की सफेद चादर में पूरे ताजमहल को ढक दिया था। यही वजह थी कि ताज निहारने वाले पर्यटक ताज का दीदार नहीं कर पा रहे थे।
वैसे तो करोना कॉल के समाप्ति के बाद संस्कृति मंत्रालय ने एक दिन में केवल पांच हजार पर्यटकों को ही ताज निहारने की अनुमति दे रखी है। मगर मंगलवार को जब पर्यटक ताज निहारने पहुंचे तो ताजमहल कोहरे में दिख ही नहीं रहा था। ऐसे में मायूस पर्यटक बिना ताज का दीदार कर ही लौट रहे थे। कोहरे की चादर में ताजमहल इतना ढका हुआ था कि प्रवेश द्वार से कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था। पर्यटकों ने नजदीकी सी ताजमहल को देखने की कोशिश की लेकिन ताजमहल की इमारत जिस रूप और रंग के लिए जाने जाती है उस रूप को निहारने के लिए पर्यटकों को सिर्फ मायूसी हाथ लगी।
बेंगलुरु से ताजमहल देखने के लिए आई एक महिला पर्यटक नूतन ने बताया कि घने कोहरे के चलते जहां एक तरफ ताजमहल नहीं दिखाई दे रहा तो वहीं ताजमहल के साथ फोटो खिंचवाने की उनकी हसरत भी अधूरी रह गई है।
जहां कोहरे की तेज धुंध से पर्यटकों को ताज के दीदार करने में परेशानी हो रही थी तो वहीं ताजमहल पर फोटोग्राफी में भी काफी दिक्कतें आ रही थी। सुबह से ताजमहल परिसर में पहुंचे पर्यटक यही इंतजार कर रहे थे कि कब सूरज दर्शन दे और ताजमहल का दीदार हो सके
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