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उदयनिधि और स्वामी प्रसाद मौर्य को इन महाराज ने कह दिया ‘मूर्ख’

by admin

आगरा। हाथों में दीपक और आंखों में अश्रुधारा। 14 वर्ष बाद वनवास से लौटे सियाराम के चरणों में हर भक्त नतमस्तक था। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ वशिष्ठ मुनि के रूप में मौजूद ददरौआ धाम के महामण्डलेश्वर स्वामी रामदास महाराज ने श्रीराम के स्वरूप के राज तिलक किया तो पुष्पों की वर्षा से कथा स्थल भक्ति की सुगन्ध से महक उठा। जय सीयाराम के साथ बजरंग बली के उद्घोष से पण्डाल गूंज उठा। कथा वाचक स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने सभी भक्तों को श्रीराम के राजतिलक की बधाईयां देते हुए घर-घर में राम राज्य लाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि ईर्ष्या और द्वेष को त्यागों प्रेम से रहना सीखो तो घर-घर में राम राज्य जाएगा।

उदयनिधि और स्वामी प्रसाद मौर्य को कहा मूर्ख

स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने मंच से स्पष्ट शब्दों में मूर्ख स्वामी प्रसाद मौर्य व उदयनिधि उच्चारण के साथ कहा कि जिसने सनातन को छेड़ा उसका अस्तित्व खत्म हो गया। श्रीराम चरित मानस ही वह ग्रंथ है जो जीवन में संतुलन और रिश्तों को निभाने की सीख देता है। ग्रंथ को पढ़े बिना सिर्फ विरोध करने के लिए कुछ भी अनाप शनाप बोलना मूर्खता की निशानी है। कहा काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मत्स यह छह ऐसे राक्षस हैं, जिन्हें मारने के लिए किसी शस्त्र की नहीं बल्कि शास्त्र की जरूरत पड़ती है।

श्री कामतानाथ सेवा समिति द्वारा चित्रकूट धाम (कोठी मीना बाजार) में आयोजित श्रीराम कथा में कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु राम नंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने श्रीराम के राजतिलक के साथ कथा को विश्राम दिया। श्रीराम के राजतिलक के बाद उर्मिला, माण्डवी व सुकीर्ति को श्रीराम द्वारा अख्म्ड सौभाग्यवती का आर्शीवाद देने का प्रसंग सुनाते हुए रामस्वरूपाचार्य महाराज की भी आंखें भर आयी। कहा कि भरत और माता कैकयी के आने के उपरान्त ही श्रीराम ने राजतिलक की औपचारिकताओं को स्वीकार किया।

संवैधानिक रुप से राम राज्य कब आएगा यह तो भविष्य बताएगा लेकिन घर-घर में राम राज्य के लिये सरकार ने किसी को नहीं रोका है। आज हर घर में भाईयों में सम्पत्ति का विवाद है। भक्ति से जीवन में भगवान और सम्पत्ति से व्यवधान मिलते हैं। भरत श्रीराम के वन जाने पर अयोध्या से 14 किमी दूर नंदीग्राम में रहे। कभी श्रंगार नहीं किया। अयोध्या के पकवान और सम्पत्ति सब का त्याग कर दिया। श्रीराम और भरत जैसे युवा, सीता, उर्मिला, माण्डवी जैसी बहुएं और माताएं कौशल्या बन जाए तो अवश्य घर-घर में राम राज्य होगा।

जीवन में भय नहीं भाव पैदा करिए…

स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने अरण्य काण्ड में जटायू और सुग्रीव का उदाहरम देते हुए कहा कि मन में भाव को पैदा करें, भय को नहीं। सुग्रीव भय के कारण जो काम नहीं कर पाया वह भाव से परिपूर्ण होने के कारण जटायू ने कर दिया। सीता हरण के दौरान उसने अपनी चोंच के प्रहार से रावण को मूर्छित कर दिया था। मन से भय को भगाना है तो प्रतिदिन हनुमान चालीसा को पाठ करें। प्रतिदिन पांच मिनट की कीमत में भय को दूर करने का इससे बेहतर उपाय नहीं मिलेगा।

इस अवसर पर मुख्य रूप से साध्वी अमृतानंदमयी मानस समीक्षा प्रयागराज जयप्रकाश त्यागी, हकीम सिंह त्यागी, अध्यक्ष जय भोले, लवकेश चौधरी, पिंकी त्यागी, श्रीकांत त्यागी, प्रीति उपाध्याय, अलौकिक उपाध्याय, शैलेंद्र उपाध्याय, वात्सल उपाध्याय, सौरव शर्मा, अमित, सागर राणा, राकेश मंगल, दीनदयाल मित्तल, रामवीर चाहर, विमल आदि उपस्थित रहे।

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