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देश भर के संतों का होगा महाकुम्भ, सनातन धर्म व संस्कृति पर होगा संवाद

by admin
  • मां कामाख्या सहस्त्र चण्डी 108 कुण्डीय महायज्ञ में 18 फरवरी को होगा संतों का विराट सम्मेलन, 20 फरवरी को पूर्णाहूति के साथ होगा सम्मान समारोह व भण्डारा

आगरा। भक्ति के सतरंगी रंगों से सजा महामाई कामाख्या देवी के 108 कुण्डीय महायज्ञ में 18 फरवरी को संतों का विराट सम्मेलन होगा। जिसमें भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों (काशी, उज्जैन, अयोध्या, मिथिला, आसाम, वृन्दावन) के 300 से अधिक साधू संत भाग लेंगे। सनातन धर्म व संस्कृति विषय पर संवाद होगा। महायज्ञ स्थल पर प्रतिदिन परम पूज्य संत श्री कीर्तिनाथ जी महाराज के नेतृत्व में प्रातः व संध्या काल में 108 कुण्डीय महायज्ञ में आहूति दी जा रही है। यज्ञ कुण्ड पर स्थापित वसोरधारा से (यज्ञकुण्ड में कलश से बूंद-बूंद कर गिरता घी) महामाई के महायज्ञ की ज्योति मुख्य कुण्ड में अनवरत प्रज्जवलित है।

शास्त्रीपुरम सुनारी स्थित मां कामाख्या सहस्त्र चण्डी 108 कुण्डीय महायज्ञ स्थल पर हर प्रहर महामायी के जयकारे गूंज रहे हैं। कामाख्या देवी के साथ भैरव बाबा की पताकाएं फहरा रही हैं। आज एमएलसी विजय शिवहरे ने भी महामाई के यज्ञकुण्ड में आहूति प्रदान की। मां कामाख्या आयोजन सेवा समिति के अध्यक्ष कान्ता प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि 18 फरवरी संतों का दोपहर 12-2 बजे विराट सम्मेलन, सामूहित विवाह समारोह व यज्ञोपवीत (जनेऊ संस्कार) का आयोजन किया जाएगा। 20 फरवरी को महायज्ञ पूर्णाहूति, सम्मान समारोह व भंडारे का आयोजन होगा। 21 फरवरी को सभी स्थापित मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा।

इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजन समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुरारीप्रसाद अग्रवाल, वंदना मेड़तवाल, अजय गोयल, राहुल अग्रवाल, शम्भूनाथ चैबे, अवि गोयल, पवन भदौरिया, सुनील पाराशर, डॉ. सुभाष भारती, खेमसिंह पहलवान, मीना अग्रवाल, प्रीतम सिंह लोधी, जयशिव छोकर, मुन्ना मिश्रा, वीरेन्द्र मेड़तवाल, दिव्या मेढतवाल, सीमा गोयल, रीया आदि उपस्थित थे।

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महामाई कामाख्या देवी के 108 कुण्डीय महायज्ञ स्थल पर श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक संजय शास्त्री ने आज भक्त प्रह्लाद और राजा बलि की कथा के माध्यम से भक्ति का महत्व समझाया। कहा कि भगवान धन दौलत नहीं बल्कि भक्ति से वश में रहते हैं। राजा बलि की भक्ति ही थी कि श्रीहरि विष्णु भगवान राजा बलि के दरबान बन गए। और उन्हें वापस लाने के लिए माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बाधकर श्रीहरि विष्णु को वापस पाया। वहीं भक्त प्रह्लाद की कथा के माध्यम से बनाया कि भक्ति में वो शक्ति है, जिससे भगवान आपके सभी कष्टों को दूर कर हमेशा आपकी रक्षा करते हैं। कहा अपने जीवन से पांच चोरों काम क्रोध, लोभ, मोह अहंकार को भगा दो, यही सबसे बड़ी तपस्या है। गंगा मैया के धरती पर अवतरण की कथा सुनाई। कथा विश्राम पर आरती कर सभी भक्तजनों को प्रसाद वितरण किया गया। कल श्रीराम जन्मोत्सव की कथा का वर्णन होगा।

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