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20 हज़ार से अधिक बच्चों को शिक्षित कर चुके इस श्रमिक विद्यालय से जुड़े युवा बन रहे हैं ‘आत्मनिर्भर’

by admin

Agra. पिछले तीन दशकों में उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन और उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक शिक्षा संस्थान ने मजदूरों के साथ साथ उनके बच्चों के जीवन को भी बदला है। एक तरफ जहां मजदूरों के हक के लिए संगठन लड़ाई लड़ रहा है तो पिछले 3 दशकों में मजदूरों के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर कर लगभग 20000 बच्चों को शिक्षित बना चुका है। आज यह बच्चे निजी कंपनियों और सरकारी नौकरियों में है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की पूर्व दिवस पर ऐसी ही तीन बालिकाओं को उत्तर प्रदेश ग्रामीण मौजूद संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने सम्मानित किया जिन्होंने इस स्कूल से शिक्षा ग्रहण की और आज अपने माता पिता के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही। इस दौरान उन्होंने कठिनाई के अपने जीवन के इस सफर को बयां किया और उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष को धन्यवाद ज्ञापित किया।

मुल्ला की प्याऊ निवासी अमरीन खां स्व. मंजीत खा का जिंदगी का सफर भी मुश्किलों भरा रहा। परिवार के भरण पोषण के लिए माता-पिता दोनों ही मजदूरी करते थे लेकिन फिर भी दो वक्त की रोजी रोटी का इंतजाम भी बमुश्किल हो पाता था। अमरीन खान को पढ़ने लिखने का शौक था लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति देख उन्होंने यह माता-पिता का हाथ बंटाने के लिए ही बालपन से ही ब्रश बनाने का काम शुरू कर दिया लेकिन जैसे ही समय मिलता रात को वह पढ़ने लिखने बैठ जाती।

The youth associated with this labor school, which has educated more than 20 thousand children, are becoming 'self-reliant'

एक दिन उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन और उत्तर प्रदेश जिला में श्रमिक शिक्षा संस्थान के शिक्षक उनके घर पहुंचे उन्हें बालश्रम करता देख तुलाराम शर्मा की आंखे भर आईं। उन्होंने उनके माता पिता से वार्ता की और उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक शिक्षा संस्थान के बैनर तले संचालित स्कूल में दाखिला कराया। आठवीं तक उन्होंने अपने स्कूल में नि:शुल्क शिक्षा दिलाई और से 12वीं तक शिक्षा ग्रहण करने के लिए आर्थिक मदद की थी। आज अमरीन 12वीं कक्षा में पढ़ने के साथ ही एक प्राइवेट हॉस्पिटल में टेली कॉलिंग का काम कर रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई करना भी शुरू कर दिया है। उनका सपना है कि सरकारी औहदे पर पहुंच सके और अपने परिवार और माता-पिता के जीवन को बदल सकें।

अमरीन खां का कहना है कि आज उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है। उसने उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा और श्रमिक विद्यालय के सभी अध्यापकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

दयाल नगर मुल्ला की प्याऊ निवासी सीमा और रुकसाना की कहानी कुछ ऐसी है। हाल ही में दोनों ने बारहवीं उत्तीर्ण की है। सीमा व रुकसाना का परिवार काफी बड़ा है। दोनों के परिवार में लगभग आठ लोग है। सीमा के पिता भी मजदूर है। सीमा और रुकसाना का कहना है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और यह स्थिति पिछले कई वर्षो में और ज्यादा दयनीय हो गयी। पिता का हाथ बंटाने के लिए सीमा ने घर पर चटाई का काम और रुखसाना ने जूते का काम शुरू कर दिया और जीवन यूं ही गुजरने लगा। हालांकि उनके अंदर भी पढ़ाई की ललक थी। जब उनके घर के आगे से स्कूल ड्रेस में बच्चे निकलते थे तो वह भी अपनी मां से स्कूल जाने के लिए कहती थी लेकिन प्राइवेट स्कूल की फीस और परिवार में कई सदस्यों के भरण-पोषण के कारण स्कूल नहीं भेज सकी। इसी दौरान उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक शिक्षा संस्थान के अध्यापकों से मुलाकात हुई उन्होंने माता-पिता को समझाया और निशुल्क शिक्षा दिलाने की बात कही। दोनों परिवार के लोग मान गए तब जाकर उन्हें शिक्षा मिल सकी।

The youth associated with this labor school, which has educated more than 20 thousand children, are becoming 'self-reliant'

उन्होंने श्रमिक संस्थान से कक्षा 8 तक शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद 12वीं तक दूसरे स्कूल में शिक्षा पाई। इस स्कूल से निकलने के बाद भी संस्था के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने उनकी शिक्षा ग्रहण करने में पूरी मदद की। आज वह दोनों तकनीकी रूप से अपने आप को स्वावलंबी बनाने के लिए कंप्यूटर की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। सरकारी जॉब के लिए तैयारी कर रही हैं लेकिन इस पूरे जीवन के सफर में उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन और ग्रामीण श्रमिक संस्थान का जो सहयोग रहा है वह इसे नहीं भुला सकती।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक शिक्षा संस्थान में तीनों बालिकाओं के पहुंचने पर संस्थान के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने तीनों बालिकाओं का जोरदार स्वागत किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामनाएं की। तुलाराम शर्मा ने बताया कि लगभग पिछले 3 दशकों से वे और उनकी संस्था मजदूरों के हितों और उनके बच्चों को शिक्षित बनाने का काम कर रही है। आज इस संस्थान से लगभग 20000 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर अपना उज्जवल भविष्य बना चुके हैं। शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ कर मजदूरों के बच्चे मजदूरी के दलदल में नहीं फंसे और ना ही वह बाल श्रमिक रहे। तुलाराम शर्मा का कहना है कि मजदूरों के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ गए उनके उज्जवल भविष्य बनाना है।

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