आगरा की शिक्षाविद् और हिंदी साहित्यकार डॉ. उषा यादव को मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया। डा. उषा यादव को 100 से ज्यादा पुस्तकें लिखने के लिए इस सम्मान से नवाजा गया है। वह लंबे समय से हिंदी साहित्य की सेवा में लगी हुई हैं।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में डा. उषा यादव को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया। इस अवसर पर उनके पति डा. आरके सिंह व बेटी डा. कामना सिंह उपस्थित रहीं। नॉर्थ ईदगाह कॉलोनी की रहने वाली डॉ. उषा यादव ने ब्रज संस्कृति के संरक्षण के लिए काम किया है। वो कहानी संग्रह टुकड़े टुकड़े सुख, सपनों का इंद्रधनुष, उपन्यास आंखों का का आकाश, प्रकाश की ओर समेत 100 से अधिक किताबें लिख चुकी हैं। उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। बाल साहित्य में उनका कोई जवाब नहीं है। बच्चों की कविताओं की कई किताबें भी उन्होंने लिखी हैं।
डॉ. उषा यादव बताती हैं कि लेखन की शैली उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता डॉ. चंद्रपाल सिंह मयंक भी बाल साहित्यकार थे। पिता जी को देखकर वो भी बचपन से ही कविताएं लिखती थीं। नौ साल की उम्र में उनकी पहली कविता स्कूल की पुस्तक में प्रकाशित हुई थी। डॉ. उषा यादव के उपन्यास धूप के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महात्मा गांधी द्विवार्षिक हिंदी लेखन पुरस्कार दिया। बाल साहित्य भारती पुरस्कार, मीरा स्मृति सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी की ओर से भी पुरस्कृत किया जा चुका है। डा. उषा यादव ने एक साल रतनमुनि जैन इंटर कालेज में पढ़ाया। केएमआई और केंद्रीय हिंदी संस्थान में भी उन्होंने अध्यापन कार्य किया।
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