आगरा। ताजनगरी की पुलिस के दो रूप सामने आए हैं। एक तरफ पुलिस रविवार को लॉकडाउन का उल्लंघन करने और मजाक उड़ाने वाले भाजपाइयों के सामने मूकदर्शक बनी रही तो वहीं दूसरी तरफ यही पुलिस सोमवार को लॉकडाउन खत्म होने के बावजूद और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने वाले समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कानून का पाठ पढ़ाया। एक पुलिस के दो रूप देखकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी पर जोरदार हमला बोला है और उत्तर प्रदेश में आगरा की पुलिस को योगी की पुलिस बता दिया है।
उत्तर प्रदेश में सोमवार से लेकर शुक्रवार तक बाजार खोले जाने के दिशा निर्देश योगी सरकार ने जारी किए हैं। शनिवार और रविवार को पूर्ण तरीके से लॉकडाउन बताया गया है। इस लॉकडाउन को प्रभावी बनाने और नियमों का पालन कराने के लिए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने जिले के पुलिस कप्तान और जिलाधिकारियों के कंधे पर जिम्मेदारी दी।
मगर रविवार को आगरा में सब कुछ उल्टा नजर आया। होटल रमाडा से शुरू हुआ मुख्य सचेतक योगेंद्र उपाध्याय का काफिला लॉकडाउन का मजाक उड़ा रहा था। खाकीवर्दी को ठेंगा दिखा रहा था और सड़क किनारे खड़ी आगरा की पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
दूसरी तरफ सोमवार सुबह समाजवादी कार्यालय पर इकट्ठे हुए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता माता अहिल्या बाई होल्कर की मूर्ति पर माल्यार्पण करने जा रहे थे। तब आगरा पुलिस ने कानून का पाठ पढ़ाते हुए समाजवादी पार्टी कार्यालय को छावनी बना दिया। इस मौके पर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी, योगी सरकार और आगरा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने रविवार को निकले योगेंद्र उपाध्याय के काफिले पर भी उंगलियां उठाई।
कानून के जानकारों के मुताबिक सीआरपीसी और आईपीसी सभी लोगों के लिए बराबर होती है। कानून की नजरों में कोई भी आम और खास नहीं होता। ऐसे में सवाल यह उठता है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले और लॉकडाउन का मजाक उड़ाने वाले भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर अभी तक मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया। मुख्य सचेतक योगेंद्र उपाध्याय ने इस काफिले की परमिशन जिला प्रशासन से क्यों नहीं ली। दूसरी तरफ बसों को लेकर आंदोलन करने वाले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लल्लू सिंह को लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में 14 दिन जेल भेज दिया गया था और यही पुलिस आज भाजपा के लिए मूकदर्शक बनी है। बिना लॉकडाउन के कार्यक्रम करने वाले समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने क्यों रोका।
ये वो सवाल है शायद इनका जवाब देने के लिए आगरा पुलिस बचना चाहती है। मगर सच्चाई यह है कि रविवार को मुख्य सचेतक योगेंद्र उपाध्याय का काफिला निकला और अगले 24 घंटे के अंदर पुलिस की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। ऐसे में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी, आगरा पुलिस और योगी सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं।
यह कोई पहली बार नहीं हुआ है जब सत्ता के आगे खाकीवर्दीधारी नियम कायदे और कानून को नकार रही हो। इससे पूर्व की सरकार में भी यही सब कुछ देखने को मिला है।