आगरा। जनपद के बाह तहसील के तालपुरा केंजरा पैतृक गांव के शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के माता-पिता गुजरात के अहमदाबाद बापू नगर में निवासरत है। शहीद के माता-पिता ने मार्मिक पक्ष लेते हुए रक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय डाक द्वारा शहीद के घर पर 5 सितंबर को भेजे गए शौर्य चक्र सम्मान को लेने से मना कर दिया है। वहीं राष्ट्रपति भवन में होने वाले सम्मान समारोह में प्रोटोकॉल के साथ शौर्य चक्र सम्मान महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने की मांग की है।
आपको बता दें तहसील बाह के ताल का पुरा कैजरा पैतृक गांव निवासी मुनीम सिंह भदौरिया, जय श्री का बेटा गोपाल सिंह भदौरिया सन 2003 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। उसके बाद नेशनल सिक्योरिटी गार्ड एनएसजी में कमांडो की ट्रेनिंग ली और 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई के ताज होटल में हुए हमले के बाद गोपाल आर्मी के हीरो बन गए। ताज होटल में आतंकियों को एनएसजी कमांडो जवानों ने होटल में घेर लिया था। उसमें गोपाल सिंह भदौरिया भी थे और आतंकवादियों को ढेर किया था। इस कामयाबी पर उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।
जम्मू कश्मीर में फरवरी 2017 में एक घर में घुसे 9 आतंकवादियों में से गोपाल भदोरिया ने 4 आतंकवादियों को ढेर कर खुद देश सेवा मातृभूमि के लिए शहीद हो गए। वीरगति को प्राप्त हुए शहीद को सरकार द्वारा उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। मगर पारिवारिक विवाद के कारण शहीद के परिजन शौर्य चक्र सम्मान प्राप्त नहीं कर सके थे। वर्तमान में शहीद के माता -पिता गुजरात के अहमदाबाद के बापू नगर में रहते हैं। 5 सितंबर को मेडल डॉक कोरियर के माध्यम से उनके घर भेजा गया जिसे उन्होंने लेने से मना कर दिया और लौटा दिया।
शहीद के पिता मुनीम सिंह भदौरिया व मां जय श्री का कहना है कि मेडल कोरियर से नहीं भेजा जाता है। यह एक अवार्ड है जिसे राष्ट्रपति द्वारा 26 जनवरी या 15 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में सम्मान सहित दिया जाता है।
मुनीम सिंह ने बताया कि बेटे शहीद गोपाल सिंह की पत्नी हेमावती का तलाक 2011 में हो चुका है। इसलिए वह सम्मान व सुविधा की हकदार नहीं है। इसे लेकर कोर्ट में मामला चला रहा है। कोर्ट ने उनका पक्ष स्वीकार किया और शौर्य चक्र को हेमावती को देने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि मरणोपरांत जो भी मेडल या सुविधा है। वह शहीद गोपाल सिंह भदौरिया के माता -पिता को दी जाये।
शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया को अरुणाचल प्रदेश में सेवा देने पर सैन्य सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया था। उनका पैतृक गांव तालपरा केंजरा बाह तहसील में स्थित है। जहां पैतृक गांव में परिजनों द्वारा शहीद की याद में उनका स्मारक बनवाया गया है। यह युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
फोन पर शहीद गोपाल सिंह भदोरिया के पिता मुनीम सिंह भदोरिया से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि परिवारिक विवाद के चलते कुछ दिनों पूर्व शौर्य सम्मान को रोक दिया गया था। मगर कोर्ट ने आदेश दिया के मरणोपरांत शहीद के माता-पिता का हक रहेगा। मैं आर्मी और सरकार का सम्मान करता हूं। शौर्य चक्र सम्मान के हकदार शहीद के माता-पिता को सूचना देकर बुलाया जाता है। मगर उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई। जब कोई मना कर देता है तब डाक द्वारा भेजा जाता है। उन्हें कोई सूचित नहीं किया गया और ना ही बताया गया।
उन्होंने कहा कि शौर्य चक्र सम्मान को प्रोटोकॉल के साथ महामहिम राष्ट्रपति द्वारा ही दिया जाता है जिसे रक्षा मंत्रालय द्वारा डाक से भेजा गया है। उसे उन्होंने वापस कर दिया। शहीद होने के बाद बेटे का सम्मान प्रोटोकॉल के साथ महामहिम राष्ट्रपति से ही लेंगे।