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चलने से लाचार माँ को जंगल में छोड़ भागा कपूत, माँ ने कहा ‘मुझसे कहा होता मैं ख़ुद ही चली जाती’

by admin
The Kaput ran away leaving the helpless mother in the forest, the mother said 'I would have told me I would have gone myself'

Agra. अपने बेटे को बड़े लाड़ प्यार से पाला, उसे शिक्षित बनाया। शादी करवाई और बहू भी घर में आई। सोचा था कि बेटे और परिवार के प्रति सभी कर्तव्य पूरे हो गए और अब बेटा – बहु उनकी सेवा करेंगे और बुढ़ापा आराम से कट जाएगा। किंतु यह उसका भ्रम था। पूत कपूत निकल गया और मां को दर दर की ठोकरें खाने के लिए कैलाश मंदिर के जंगल में छोड़कर चला गया। जो घसीटते घसीटते रामलाल वृद्ध आश्रम वाले रास्ते पर पहुँची। वहाँ से मोटरसाइकिल पर गुजर रहे चालक ने वृद्धा को इस स्थिति में देखा और पूछा तो उसकी भी आंख से आंसू निकल आये। वृद्धा ने बताया कि बेटा कैलाश मंदिर में बाबा के दर्शन कराने की कहकर लाया और जंगल में छोड़कर चला गया।

रामलाल वृद्ध आश्रम के मार्ग पर मिली वृद्धा राजामंडी की रहने वाली महादेवी है जो लगभग चार घंटे तक अपने बेटे जितेंद्र और बहु किरन के आने का इंताजर करती रही। उनके न आने पर पैरों से कमजोर वृद्धा घिसट घिसट कर रोड पर चल रही थी। सुनसान जंगल के रास्ते में 75 साल की बुजुर्ग महिला को रामलाल वृद्ध आश्रम के सेवादारों की नजर पड़ी तो उन्होंने वृद्धा से पूछताछ की। बस दर्द से कराहती वृद्धा ने रोते हुए जब पूरा हाल बताया तो सेवादारों की आंखों में भी आंसू आ गए। सेवादार तुरंत उसे रामलाल वृद्ध आश्रम ले गए।

वृद्धा महादेवी का कहना है कि उनका बेटा यह कहकर अपनी पत्नी के साथ घर से चला था कि कैलाश बाबा के दर्शन कराने के बाद घूमेंगे लेकिन बिना दर्शन कराए ही उसे वो जंगल में छोड़कर चले गए। पैरों में परेशानी होने के बावजूद वो बेटे के कहने पर आई जिसके लिए वो अपने आप को कोसती है लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद अपने बेटों को दुआ देते हुए कहती हैं कि ‘बेटा तू अगर मुझसे परेशान था, तो मैं खुद कहीं चली जाती।’

रामलाल वृद्ध आश्रम के मैनेजर शिव प्रसाद शर्मा का कहना है कि आश्रम उन्हें अपना यहां रख रहा है। उनका इलाज भी कराया जा रहा है लेकीन वह अपने बेटे को दिन में कई बार याद करती हैं। आश्रम में रह रहे बुजुर्गों से बातचीत करते हुए कहती हैं कि मेरे बेटे ने कोई गलती कर दी है। वो मुझे लेने आएगा। मैं उसे माफ कर दूंगी।

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