Agra. शनिवार रात 11 बजे एसएन मेडिकल के पालना आश्रय गृह की घंटी बजी। घंटी बजते ही वहां मौजूद कर्मचारियों ने बाहर की ओर दौड़ लगा दी। कर्मचारी पालने के पास पहुंचे तो एक प्यारी सी नवजात बच्ची पालने में झूल रही थी। मासूम अपनी आंखें बंद किये हुई थी।
आपको बताते चलें कि 2 दिन पहले ही एसएन मेडिकल कॉलेज में आश्रय पालना स्थल की शुरुआत हुई है। शनिवार रात को आश्रय पालना को अपनी पहली नवजात मिली। पालना घर की घंटी बजी। घंटी बजने के बाद डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी पालना की ओर दौडे़। उन्होंने देखा कि पालना में एक नवजात बच्ची हरे रंग के तौलिए में लिपटी हुई है। पालना में वो आराम से सो रही थी।
चिकित्सक ने तुरंत बच्चे को अपनी गोद में उठाया। बच्चे को तत्काल ही उपचार के लिए बाल रोग विभाग में ले जाया गया। एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि बच्ची प्रीमेच्योर है। उसको उपचार दिया गया है। वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है। डॉक्टर बच्ची का पूरा ख्याल रख रहे हैं।
दिल को मिला सुकून
पालना घर के योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि रात 11 बजे एक बच्ची के पालना में आने की सूचना मिली। बच्ची की तस्वीर देखी उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि वह कह रही हो कि ‘मां तेरी कोई मजबूरी होगी लेकिन तुमने मुझे मारा नहीं। मुझे कूडे़ के ढेर में नहीं फेंका, इसलिए तुम्हारा शुक्रिया। अब मैं पालना घर में आकर सुरक्षित हूं। मेरा यहां पर पूरा ख्याल रखा जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य को लेकर पालना आश्रय की शुरुआत की गई थी। वह सार्थक होता हुआ दिखाई दे रहा है। अब नवजातों की हत्या नहीं होगी और कोई उन्हें कूड़े के ढेर में नहीं फेंकेगा।
इच्छुक दंपती ले सकेंगे गोद
योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि आश्रय पालना स्थलों के माध्यम से हर अनचाहे नवजात शिशु को जीने का अधिकार प्राप्त हो सकेगा। साथ ही इच्छुक दंपति इन मासूम को विधि अनुरूप गोद लेकर अपना परिवार पूरा कर सकेंगे। योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि आश्रय पालन स्थल में प्राप्त शिशु को जिला बाल कल्याण समिति की ओर से विधि के अनुरूप दत्तक ग्रहण के लिए स्वतंत्र घोषित किया जाएगा। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की ओर से शिशु के दत्तक ग्रहण की कार्यवाही की जाएगी।
हाईटेक मोशन सेंसर है लगा
डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त हैं, जिससे की पालना स्थल में शिशु को छोड़ने के 2 मिनट बाद चिकित्सालय के लेबर रूम में अपने आप घंटी बजेगी। इस दो मिनट के समय में छोड़ने वाला व्यक्ति आसानी से सुरक्षित रूप से वहां से जा सकेगा। घंटी बजते ही चिकित्साकर्मी की ओर से आश्रय पालना स्थल से शिशु को तत्काल प्राप्त कर उसकी चिकित्सकीय व व्यक्तिगत देखभाल की जाएगी। शिशु के स्वस्थ होने पर उसे तत्काल नजदीकी राजकीय मान्यता प्राप्त शिशु गृह में भेज दिया जाएगा। उसके बाद विधिवत रूप से कानून की जिम्मेदार की जिम्मेदारी होगी कि उसका भरण पोषण कैसे करना है।