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कलकत्ता के कारीगरों द्वारा मिट्टी की बनी भगवान गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र, कीमत जान चौंक जाएंगे आप

by admin
The idol of Lord Ganesh-Lakshmi made of clay by the artisans of Calcutta became the center of attraction, you will be shocked to know the price

Agra. दीपावली त्यौहार के दिन शुभ मुहूर्त देख भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजन के लिए लोग प्रतिवर्ष भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की नई मूर्ति अपने घर स्थापित कर उसका पूजन करते हैं। इसके चलते मिट्टी शिल्पकारों और व्यापारियों ने माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां अपनी दुकानों में सजा दी हैं। मुख्य तौर पर नामनेर चौराहा स्थित बाजारों में प्रभु गणेश और माता लक्ष्मी के साथ अन्य देवी-देवताओं की छोटी मूर्तियों के साथ बड़ी मूर्तियां है जो लोगों को आकर्षित कर रही है।

6500 की प्रभु गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति

नामनेर स्थित मूर्ति के बाजारों में प्रभु गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियों के दाम सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। यहाँ पर 100 रुपये से लेकर 6500 हजार रुपये तक की मूर्ति है। प्रभु गणेश और माता लक्ष्मी की एक जोड़े की मूर्ति 6 हजार रुपये की है। यह मूर्ति पूरी मिट्टी की बनी हुई है, साथ ही विशेष सजावट होने से यह मूर्तियां अद्भुत छटा बिखेर रही है।

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जड़े हैं मोती व सितारे

मूर्तियों के बाजार में 6 हजार की जो मूर्ति है सभी के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, वह मूर्ति बेहतरीन परिधानों के साथ सितारों और मोतियों से सजी है। उनके ऊपर छत्र बना हुआ है। यह मूर्ति लगभग 2 फुट की है। मूर्ति व्यवसाई का कहना है कि पूरी मूर्ति मिट्टी की बनी हुई है। पक्के रंग से रंगी हुई है जिससे अलग छवि निखर कर आ रही है। यह मूर्ति पोशाक पहने हुए है और ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी मूर्ति सितारों मोती से सज है।

कलकत्ता की है यह प्रतिमा

व्यापारियों ने बताया कि 6 हजार या इससे कम रुपये की जो प्रभु गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति है वह सभी कलकत्ता से आई है। वहीँ के कारीगरों ने इन्हें बनाया है। यह मूर्ति पूरी तरह से मिट्टी की है।

स्वच्छता का संदेश देंगी प्रतिमा

मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार सभी मूर्ति मिट्टी की बनी हुई है। पीओपी की कोई भी मूर्ति नहीं है। मिट्टी की मूर्ति होने से अगर यह खंडित हों भी जाती है तो इन्हें नदी में प्रवाहित किया जा सकता है। मिट्टी की होने के कारण यह नदी में घुल जाएगी और इससे नदी में प्रदूषण भी नहीं होगा।

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