उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी धर्मांतरण संबंधी कानून को योगी कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। सीएम आवास पर कैबिनेट बैठक हुई जहां योगी सरकार की कैबिनेट ने लव जिहाद को लेकर कानून पास किया। यह बिल धर्मांतरण निरोधक बिल के नाम से जाना जाएगा।
मंगलवार को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक कानून के पास होने के साथ संपन्न हुई जिसमें गैरकानूनी धर्मांतरण समेत 21 प्रस्तावों को योगी सरकार की ओर से मंजूरी दी गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से आए फैसले के बाद थोड़ा बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने एक धर्म से दूसरे धर्म में शादी करने को लेकर नया कानून पास कर दिया है। अब दूसरे धर्म में शादी करने से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही डीएम की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने वालों के लिए 10 साल तक की सजा का प्रावधान भी रखा गया है। राज्य सरकार में पास हुआ यह अध्यादेश अब राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। जब राज्यपाल द्वारा इस अध्यादेश को पास कर दिया जाएगा, तब यह एक धर्मांतरण कानून कहलाएगा। बताया जा रहा है कि विधानसभा के आगामी सत्र में इस प्रस्ताव को सदन में चर्चा के लिए रखा जाएगा।
दरअसल राज्य भर में लव जिहाद को लेकर कई मामले अब तक सामने आ चुके थे जिन्हें लेकर कभी कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया। आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पहले ही कह चुके हैं कि लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून लाकर ही इस प्रकार की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन के प्रमुख रिटायर्ड न्यायमूर्ति आदित्यनाथ मित्तल ने कहा है कि, ”लव जिहाद पर हमारी रिपोर्ट में अवैध धर्मांतरण को रोकने का प्रावधान है। कोई भी धर्मांतरण गलत बयानी या किसी प्रलोभन के माध्यम से किया गया तो इसे अवैध करार दिया जाएगा और 3 साल की सजा होगी।” इस प्रस्ताव को लेकर उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार कर न्याय एवं विधि विभाग से परमिशन ली। वहीं अब मुख्यमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाने के बाद कैबिनेट में इस प्रस्ताव को लेकर चर्चा की गई।
मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है। वहीं एससी/एसटी समुदाय की महिलाओं और नाबालिगों के धर्मांतरण पर 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से दस साल की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है।
गौरतलब है कि, यूपी में लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है। सिर्फ अलग-अलग जाति या धर्म होने की वजह से किसी को भी साथ रहने या शादी करने से रोका नहीं जा सकता है। साथ ही यह भी कहा कि दो बालिग लोगों के रिश्ते को सिर्फ जाति या धर्म के आधार पर नहीं देखा जा सकता है। इसलिए अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ शादी करने वालों के रिश्ते पर ऐतराज जताने और विरोध करने का हक ना तो परिवार का है और ना ही किसी सरकार का। यदि दो बालिग लोगों के जीवन में परिवार या सरकार के द्वारा खलल पैदा किया जाता है तो उनकी निजता के अधिकार का अतिक्रमण माना जाएगा।