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फर्ज़ी एनकाउंटर की कहानी, 8 साल बाद न्याय, लगा जुर्माना और दंड

by admin

आगरा। लगभग 8 साल पहले ताजगंज क्षेत्र में हुए एनकाउंटर मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दखल के बाद आये प्रदेश सरकार के फैसले ने आगरा पुलिस प्रशासन में खलबली मचा दी है। यूपी सरकार ने आगरा पुलिस प्रशासन को एनकाउंटर में मारे गए 2 लोगों के परिजनों को 5-5 लाख का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। साथ ही 8 साल पहले हुए इस एनकाउंटर को फर्जी मानते हुए एनकाउंटर करने वाली पूरी पुलिस टीम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

बताते चलें कि फरवरी 2010 में ताजगंज क्षेत्र में एसओजी इंचार्ज शैलेश कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने एक एनकाउंटर को अंजाम दिया था जिसमें पुलिस ने दो आरोपियों का एनकाउंटर दिखाया था।  एनकाउंटर में मारे गए लोगों की पहचान नगला पदी निवासी विष्णु कांत गौतम और गुरुदेव यादव के रूप में हुई थी। इस मामले में मारे गए लोगों के परिजनों ने एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए थे और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत की थी।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सचिव ने 20 मार्च 2017 और 12 दिसंबर 2017 में दो बार यूपी डीजीपी को शिकायत कर इस एनकाउंटर की जांच को नोटिस भेजा था। लेकिन राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को इस बात पर कोई भी आश्वासन या जवाब नहीं मिला जिस पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने 1 अप्रैल 2018 में यूपी सरकार से इस मामले में कोई संज्ञान ना लिए जाने पर शिकायत की और एनकाउंटर की जांच की मांग उठाई।

यूपी सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 8 साल पहले हुए इस एनकाउंटर की जांच की और कई सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर इस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया। यूपी सरकार ने फर्जी एनकाउंटर पाए जाने के बाद पुलिस प्रशासन को एनकाउंटर में मारे गए दोनों लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख मुआवजा देने के आदेश दिए और यह मुआवजे की राशि एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम के वेतन से काटने को कहा। इतना ही नहीं यूपी सरकार ने फर्जी एनकाउंटर करने वाली पूरी पुलिस टीम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

यूपी सरकार के आय इस आदेश के बाद पुलिस महकमे में खलबली मची हुई है तो कोई भी इस पर बोलने को राजी नहीं है। एनकाउंटर करने वाली टीम में इंचार्ज शैलेश कुमार के अलावा सब इंस्पेक्टर उदय प्रताप सिंह, कॉन्स्टेबल राम राजपाल, करतार सिंह, उपेंद्र, सुरेंद्र, विनोद, आरिफ और शैलेंद्र थे जोकि एनकाउंटर में घायल हुए थे। इस मामले में शैलेश कुमार की ओर से एनकाउंटर में मारे गए लोगों के खिलाफ आईपीसी धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

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