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ताज़महल में मनाए जाने वाले उर्स को प्रतिबंधित करने की उठी मांग, जाने क्यों

by pawan sharma

आगरा। ताजमहल में शाहजहां के तीन दिवसीय उर्स के समापन के अवसर पर चादर पोशी के दौरान कुछ युवकों द्वारा पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगने से हिंदूवादी संगठनो में खासा रोष व्याप्त है। हिंदूवादी संगठन के नेतान ने इस हरकत से शहर की फिजा खराब होने की बात कहते हुए ताजमहल में मनाए जाने वाले उर्स पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। हिंदूवादी नेताओं के साथ साथ गोरक्षा प्रमुख ब्रज प्रांत दिग्विजय नाथ तिवारी ने तो उर्स को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

उनका कहना है कि मुस्लिम समाज इस ऐतिहासिक स्मारक को मोहब्बत की निशानी ताजमहल के रूप में देखता है जबकि हिंदूवादी संगठन उसे शिव मंदिर यानी तेजोमहल मानते है। ताजमहल की वास्तविकता को लेकर न्यायालय में विवाद चल है लेकिन इसके बावजूद भी ताजमहल के अंदर उर्स मनाया जा रहा है जो ठीक नही है। इससे खुलेआम उर्स कमेटी न्यायलय के आदेश की धज्जियां उड़ा रही है जिसे पुलिस और प्रशासन को गंभीरता से लेना चाहिए।

गौरक्षा प्रमुख दिग्विजय नाथ तिवारी का कहना है कि जबतक इस मामले में न्यायलय में विवाद चल रहा है और न्यायलय का जब तक कोई आदेश नही आता है तब तक ताजमहल में उर्स मनाये जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए। जिससे उर्स की आड़ में देश विरोधी ताकतों को बल न मिले और फिर ताजमहल में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे न लगे।

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