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700 मृत किसानों की जिम्मेदारी लेते हुए पीएम मोदी पूरे देश से मांगे सार्वजनिक माफ़ी

by admin
Taking responsibility of 700 dead farmers, PM Modi sought public apology from the whole country

Agra. शहर कांग्रेस द्वारा वरिष्ठ नेता हाजी जमीलुद्दीन कुरैशी के निवास पर मोदी सरकार द्वारा तीनों काले कृषि कानून वापिस लिए जाने की घोषणा पर पत्रकार वार्ता आयोजित की गयी। पत्रकार वार्ता में आगरा जोन प्रभारी व उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह ने कहा कि ‘मोदी जी को आन्दोलन में 700 मृत किसानों की जिम्मेदारी लेते हुए अपनी गलती के लिए देश के किसानों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।’

उपेन्द्र सिंह ने कहा कि काले कृषि कानून वापिस किए जाने से ये सिद्ध हो गया है कि ये तीनों ही कानून देश के अन्नदाताओं के लिए फांसी के फंदे के समान थे। प्रदेश सचिव विनेश सनवाल ने कहा कि ‘मोदी जी में जरा भी शर्म बची है, तो तत्काल नैतिकता के आधार पर उन्हें अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए, क्योंकि उनकी सरकार द्वारा किए गए अभी तक सारे निर्णय अपने उद्योगपति मित्रों के लिए हैं और देश का किसान, मजदूर, नौजवान बुरी तरह से परेशान है।’

शहर अध्यक्ष देवेन्द्र कुमार चिल्लू ने कहा कि मोदी सरकार को तुरन्त किसान आन्दोलन पर और तीनों काले कृषि कानून वापसी की घोषणा पर स्वेत पत्र जारी करना चाहिए। देश की जनता को बताना चाहिए कि ऐसी कौन सी स्थिति थी कि देश के लाखों अन्नदाता किसानों को भाजपा के मंत्री, मुख्यमंत्री, नेता गणों ने आतंकवादी तक बताया।

पत्रकार वार्ता के बाद कांग्रेस जनों ने एमजी रोड से रावली तक मौन कैंडल मार्च निकाला और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष किसान आन्दोलन में मृत किसानों के प्रति दो मिनट का मौन रखकर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

जिला कांग्रेस की ओर से भी इस अवसर पर नाई की मंडी बाजार में जश्न मनाते हुए मिष्ठान वितरण किया गया। जिला अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह मीनू का कहना था कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि काले कानून वापस लिए जाना सत्य की विजय हुई है। उन्होंने किसान संगठनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे किसान को बड़ी राहत मिलेगी।

जिला प्रवक्ता अनुज शिवहरे ने कहा कि ‘संघर्ष के आगे देश के प्रधानमंत्री को झुकना पड़ा। हमारी प्यास के आगे समंदर हार जायेगा। हमें मालूम था इक दिन सितमगर हार जायेगा। प्रधानमंत्री जी के थके हारे क़दम का स्वागत है, सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी से काम नहीं चलेगा, आपकी ज़िद से जो सैकड़ों किसान मारे गये हैं उनके परिवारों से माफी मांगिये और उन्हें मुआवज़ा दीजिये।’

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