अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में देरी होने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं लेकिन अब इसकी साफ वजह सामने आ गई है। दरअसल अयोध्या में सरयू नदी के करीब राम मंदिर निर्माण स्थल के नीचे पानी की उपलब्धता के कारण मंदिर की नींव के डिजाइन को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। यह जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने विस्तार से दी
हालांकि, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही मंदिर की बुनियाद की डिजाइन के काम को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है और हिंदू संगठनों द्वारा चंदा भी एकत्रित किया जा रहा है। देशभर में श्री राम मंदिर निर्माण समर्पण निधि अभियान के रूप में चलाया जा रहा है।
वहीं लार्सन एंड टूब्रो और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड के इंजीनियरों और विशेषज्ञों के साथ ट्रस्ट के पदाधिकारियों की बैठक के बाद राय ने यह टिप्पणी की। उनके साथ ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि भी इस दौरान मौजूद थे। राम मंदिर निर्माण समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा ने बैठक की अध्यक्षता की। गोविंद देव गिरि ने कहा कि ट्रस्ट समाधान निकालने और समस्या पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को भी बैठक करेगा।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय राम मंदिर डिजाइन को लेकर पूरी तरह से सचेत हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि जितनी प्रमाणिकता के साथ वैज्ञानिकों ने अपना काम किया है, उसके कारण पूरी दुनिया भारत के इंजीनियरिंग ब्रेन को स्वीकारती है। वे कहते हैं कि मंदिर निर्माण शुरु करने से पहले भूमिगत परीक्षण करने में करीब सात महीने का समय अवश्य लगा है। फिर भी मंदिर निर्माण के मौलिक समय में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। बताया गया फरवरी 2021 से मंदिर निर्माण में 39 माह का समय लगेगा। उनका कहना है कि मैनुवल कार्य होना है, इसलिए दो-चार फीसदी समय में हेर-फेर हो सकती है लेकिन यह भी तय है कि इससे ज्यादा नहीं होगी। अगस्त तक ने पूरी होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके बाद मूल मंदिर का कार्य शुरू होगा।
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