भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) जी- 7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) में शिरकत करेंगे और G7 के तीन सत्रों में पीएम मोदी द्वारा संबोधन भी किया जाएगा। बता दें आज यानी 12 जून और कल यानी 13 जून रविवार को इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुल 3 संबोधन इस पूरे सम्मेलन के दौरान होंगे जिन्हें भारत के साथ वैश्विक दृष्टि से बहुत खास माना जा रहा है।जी-7 सम्मेलन से मिली जानकारी के हिसाब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोनाकाल में जंग लड़ने के बाद मजबूती के साथ दुनिया की पहले जैसी वापसी, और पर्यावरण के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। अंतरराष्ट्रीय चैनल विऑन (Wion) की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार G-7 का नेतृत्व ब्रिटेन कर रहा है। इसलिए विश्व भर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को लेकर निगाहें टिकी हुई हैं।
जी-7 में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान के साथ यूरोपीय संघ शामिल है। वहीं दक्षिण अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया दक्षिण कोरिया और भारत को बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया है। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार और रविवार को 3 सत्र को डिजिटल माध्यम से संबोधित करेंगे। सूत्रों के मुताबिक इस बार G-7 में कोरोना महामारी निशुल्क व्यापार और पर्यावरण पर विचार करने की संभावना जताई जा रही है। बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले तीन केंद्रीय मंत्री इस सम्मेलन का हिस्सा बन चुके हैं।स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस सम्मेलन में सहभागिता की थी।
दरअसल वर्ष 2019 में भारत को G-7 का गुडविल पार्टनर बनाया गया था। इसके बाद 2020 में भी आमंत्रण दिया गया था लेकिन तब कोरोनावायरस की वजह से सम्मेलन को रद्द करना पड़ा था। इस साल के सम्मेलन की यदि बात की जाए तो ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने महामारी से सीख लेने के संदेश के साथ कॉर्नवाल में शुक्रवार को जी-7 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के साथ आगाह किया कि 2008 की आखिरी बड़ी आर्थिक मंदी की भूल को दोहराने की जरूरत नहीं है जब समाज के सभी हिस्से में एक समान विकास नहीं हो रहा है। जॉनसन ने शुक्रवार को उद्घाटन समारोह के दौरान संबोधन किया कि, “मुझे लगता है कि यह बैठक इसलिए हो रही है क्योंकि हमें महामारी से सीख लेने की जरूरत है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम वह गलती नहीं दोहराएं जो हमने पिछले 18 महीने में की और हमें अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए उपाय करने होंगे।”