आगरा। श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व से पूर्व 6 जनवरी को निकलने वाले नगर कीर्तन के लिए तैयारियां इन दिनों गुरुद्वारा गुरु का ताल में जोरों पर चल रही है। हर बार नगर कीर्तन का मुख्य आकर्षण सिख मार्शल आर्ट यानी गतका होता है। गतका का प्रदर्शन सिख मार्शल आर्ट सिख धर्म के गुरुओं की ही देन है जो सैकड़ो सालों से निरंतर चलती आ रही है। नगर कीर्तन के दौरान गतका के होने वाले प्रदर्शन के लिए सिख छात्र गतका की तैयारी कर रहे है। जिसका जीवंत प्रदर्शन सभी में उत्साह भर देता है।
पुरातन युद्ध कला में इस्तेमाल होने वाले तरह तरह के हथियारों का इस कला में प्रदर्शन होता है। जिस तरह से पुरातन काल में योद्धा युद्ध के मैदान में अपने को बचाते हुए शत्रु सेनाओं पर हमला करते थे इसका शानदार उदाहरण इस गतका के प्रदर्शन के माध्यम से दिखता है। गुरुद्वारा गुरु का ताल में पिछले कई दशकों से सिख मार्शल आर्ट सिखाने के लिए रणजीत अखाड़ा संचालित है जिसके उस्ताद गुरनाम सिंह है।
गुरनाम सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष नगर कीर्तन के लिए गुरुद्वारा गुरु का ताल के छात्र योद्धा तैयारी करते हैं और नगर कीर्तन के दौरान गतका का प्रदर्शन करते हैं। बताया जाता है कि सिखों के छठवें गुरु गुरु हरगोविंद साहिब जी के समय मान्यता मिली। गुरु हरगोविंद जी को यह शिक्षा बाबा बुड्ढा जी ने दी थी। गुरु हरगोबिन्द साहिब के बाद हुए हर गुरु ने गतका को सिक्ख समाज के किए जरूरी बताया।
आगरा में यह शस्त्र विद्या 1971 से सचखंड वासी संत बाबा साधू सिंह मोनी एवं संत बाबा निरंजन सिंह ने शुरू की थी जो उनके पश्चात मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह इस परंपरा को निभा रहे है।
गतका मास्टर गुरनाम सिंह ने बताया कि इस बार नगर कीर्तन में अग्नि चक्र पहली बार शामिल किया जाएगा। जिसमें लगभग ३ से ४ मीटर आग निकलेगी और छात्र अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। गुरु सिंह सभा माई थान के प्रधान कवलदीप सिंह ने बताया कि नगर कीर्तन के दौरान गुरु महाराज की सवारी के साथ साथ दूसरा बड़ा आकर्षण गतका होता है। जिसको देखने के लिए सालभर नगर कीर्तन मार्ग पर रहने वाले लोगों के अलावा पूरे शहर की संगत इंतजार करती है।
गुरु का ताल के मीडिया प्रभारी गुरनाम सिंह और मीडिया इंचार्ज बंटी ग्रोवर ने बताया कि गतका केवल हथियारों को चलाने का प्रदर्शन ही नहीं बल्कि धर्म और आस्था से जुड़ा विषय है। एक तरह से गतका शास्त्र और शास्त्र दोनों के संगम से तैयार हुई कला है जो कि गरीब, मजलूम, बेसहारा से लेकर देश, कोम व धर्म की रक्षा के लिए इस्तेमाल होती चली आई है।
गतका विद्या के दौरान लाठी के इस्तेमाल से लेकर तलवार वाले वरचे, शमशेर चकरी, नेजे धनुष बाण आदि सिखाए जाते हैं । जिन का अभ्यास पिछले कई दिनों से रंजीत अखाड़े के विद्यार्थी पूरी मेहनत से कर रहे हैं ताकि नगर कीर्तन में इनका शानदार प्रदर्शन किया जा सके।