आगरा। पुलिस पीड़ित व्यक्ति की रक्षा और उसे न्याय दिलाने के साथ साथ मानवता का सन्देश देने का दम भरने वाली पुलिस इतनी भी संवेदनहीन हो सकती है इसका जीता जागता उदाहरण सोमवार को यमुना एक्सप्रेस पर देखने को मिला। बलदेव थाना क्षेत्र के यमुना एक्सप्रेस वे के माईल स्टोन 123 पर दिल्ली की और जा रही हरियाणा no की एर्टिगा अचानक डिवाइडर से टकरा कर पलट गयी। इस कार में यूक्रेन के विदेशी पर्यटक सवार थे। कार के पलटते ही क्षेत्र की किसान दौड़कर कार में फंसे लोगों को बाहर निकालने लगे। किसानों ने पुलिस को सूचना दी लेकिन घण्टो तक कोई भी नहीं पंहुचा।
इस बीच यमुना एक्सप्रेस से नोएडा जा रहे के K न्यूज़ पत्रकार अजेंद्र चौहान और समाचार प्लस पत्रकार शिव चौहान की कार से वहां से गुजरे तो किसानो ने उनकी गाडी को रोक लिया और पर्यटकों को बाहर निकालने की मदद मांगी। घंटो पुलिस न पहुचने पर दोनों पत्रकारों ने क्षेत्र के इंस्पेक्टर और 100 डायल को फोन किया लेकिन दोनों फोन नहीं उठे।
पर्यटको की गंभीर स्थिथि देख पत्रकारों ने मथुरा के कप्तान को फोन किया तो उनका भी फिन नॉट रीचेबल आने लगा। इसके बाद आईजी को फोन लगाया तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। पुलिस की इस कार्य प्रणाली से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब पुलिस प्रशासन ऐसी स्थिति में पत्रकारों के फोन नहीं उठाते तो आम व्यक्ति का फोन कहा उठता होगा। पुलिस की संवेदनशीलता को देखते हुए दोनों पत्रकारो ने मथुरा के पत्रकारों को फोन कर मदद मांगी और घायल विदेशी पर्यटकों को अपनी गाड़ी में लेकर मथुरा के एक निजी अस्पताल पहुँचाया तो वहीँ भगवान कहे जाने वाले चिकित्सक ने भी पुलिस केस कहकर टहला दिया और पुलिस को जानकारी देने की सलाह देने लगे।
मथुरा पहुंच पुलिस से संपर्क करने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली। दोनों पत्रकार मथुरा के जिला अस्पताल घायलों को लेकर पहुंचे लेकिन पुलिस की इस कसरत में दो घण्टे बीत गए और दोनों में से एक को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। अजेंद्र और शिव चौहान के सामने विदेशी पर्यटक ने इलाज के आभाव में दम तोड़ दिया। पुलिस के इस वास्तविक चहरे को देख दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि पर्यटकों के साथ अपराधिक घटनाओं से भारत की छवि धूमिल हो रही है और मथुरा पुलिस ने इसमें एक और अध्याय जोड़ दिया। दोनों पत्रकारो को अफ़सोस है की इतनी भागदौड़ के बाद वो एक पर्यटक को नहीं बचा सके।