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श्री तेग बहादुर साहिब के प्रकाश पर्व पर कलाकारों ने पेश‌ की शौर्य गाथा, “जो बोले सो निहाल” के लगे जयकारे

by admin
On the occasion of Prakash Parv of Sri Tegh Bahadur Sahib, the artists presented the saga of bravery, chanted "Jo Bole So Nihal"

आगरा। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित नाट्य प्रस्तुति गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर का पटियाला के पंजाबी रंग मंच के कलाकारों ने बड़ा ही मार्मिक परिदृश्य प्रस्तुत किया। बीच बीच में जो बोले सो निहाल के जयकारों से सभागार गुंजायमान होता रहा। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी एवं आगरा विकास प्राधिकरण के संयुक्त प्रयास से किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के चित्र के आगे मौजूदा मुखी गुरूद्वारा गुरु के ताल संत बाबा प्रीतम सिंह, आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेंद्र पेंसिया, उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के उपाध्यक्ष गुरविंदर छाबड़ा, सदस्य राजकुमार छाबड़ा, एडीआरएम मुदित चंद्र, बृज क्षेत्र अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह एवं प्रमुख उद्योगपति पूरन डाबर ने दीप प्रज्वलित कर किया।

इसके बाद गुरु तेग बहादुर जी के जीवन और उनके हिंदुत्व की रक्षा के लिए किए गए कार्यों को एक नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से सभी के सामने पेश किया गया। उनकी शौर्य गाथा को देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति उत्साहित नजर आया तो वहीं गुरु गोविंद सिंह की जीवन से भी रूबरू हुआ।

इसके बाद कार्यक्रम संयोजक बंटी ग्रोवर ने बताया कि गुरु तेग बहादुर साहिब सिक्खों के नौवें गुरु थे। जिस प्रकार उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब के समय जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाया जा रहा था। गुरु जी ने अपना बलिदान देकर एक मिशाल कायम की। जिस वजह से उन्हें हिन्द की चादर कहा जाता है।

On the occasion of Prakash Parv of Sri Tegh Bahadur Sahib, the artists presented the saga of bravery, chanted "Jo Bole So Nihal"

पटियाला के हरमिन्दर पाल सेठी के नेतृत्व में 25 से ऊपर कलाकारों ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी के जीवन दर्शन उनके जन्म स्थान अमृतसर से मक्खन शाह लुभाना, लखी बंजारा द्वारा उनके धड़ का संस्कार, मति दास, सती दास, दयाला ने गुरु साहिब की शहादत का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया। बीच बीच में ‘जो बोले सो निहाल’ के जयकारे गुंजायमान होते रहे।

सिक्खों के नौवें गुरु तेग बहादुर की जीवन गाथा को जीवंत रूप में देखकर सभी मुख्य अतिथि भी काफी उत्साहित नजर आए और उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रम होने पर भी जोर दिया, जिससे युवा पीढ़ी अपने इतिहास और अपने गुरुओं के बलिदानों को जान सके।

इस नाट्य प्रस्तुति द्वारा गुरु के विभिन्न हिस्सों को दर्शाया गया। आरंभ में गतका द्वारा पुरातन युद्ध कला को भी दर्शाया गया। कार्यक्रम में कंवल दीप सिंह, वीर महेंद्र पाल, दलजीत सिंह सेतिया, उपेंद्र सिंह लवली, चौधरी मंजीत सिंह, बॉबी वालिया, रमन साहनी, हर पाल सिंह, परमजीत सिंह मक्कर, तेजपाल सिंह, बॉबी बेदी आदि का सहयोग रहा। कार्यक्रम में सिक्ख यूथ वेलफेयर आर्गेनाईजेशन एवं अकाल पुरख की फौज द्वारा व्यवस्था में सहयोग किया गया।

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