सिख गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह दिल्ली स्थित गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब मत्था टेकने पहुंचे। वहां पहुंचकर पीएम मोदी ने देश की आन बान के खातिर अपना सब कुछ बलिदान कर देने वाले गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि अर्पित की। सूत्रों की माने तो पीएम मोदी के गुरुद्वारा पहुंचने के लिए ना तो कोई रास्तों में अवरोधक लगाए गए और ना ही किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई। दिल्ली की सीमा पर किसान आंदोलन लगातार जारी है जिसके चलते पीएम मोदी का गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पीएम मोदी ने ट्विटर के माध्यम से शहीदी दिवस पर पंजाबी में ट्वीट किया है। दरअसल वर्ष 1621 में जन्में सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर वर्ष 1675 में दिल्ली में शहीद हो गए थे। इस शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन साहस और करुणा का प्रतीक है। महान श्री गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर मैं उन्हें नमन करता हूं और समावेशी समाज के उनके विचारों को याद करता हूं।’
गुरु तेग बहादुर सिखों के 10 गुरुओं में से एक थे जिनका स्थान नौंवा था। इनका कार्यकाल सिखों के गुरु के तौर पर सन 1665 से 1675 तक रहा। उन्होंने हमेशा अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और डटकर विरोध किया। यहां तक कि अपने अनुयायियों के विश्वास और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राणों तक का बलिदान कर दिया। गुरु तेग बहादुर के इस बलिदान के कारण उन्हें हिंद दी चादर कहा जाता है।
सन 1675 में धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने अपना बलिदान किया था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को मौत की सजा सुनाई थी क्योंकि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम कबूलने से इनकार कर दिया था। मुगल बादशाह के आदेश को मानने से इनकार करने के बाद भरी महफिल में उनका सिर कलम कर दिया गया था।
दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब दोनों गुरु तेग बहादुर के सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक माने जाते हैं। उनकी याद में शहीदी स्थल पर बना गुरुद्वारा शीश गंज साहिब के नाम से जाना जाता है जबकि गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में गुरु तेग बहादुर का अंतिम संस्कार किया गया था।