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इंग्लिश पोइटों के लिये प्रेरक साबित होगा नव सृजित मंच ‘इंग्लिश पोएट्री अड्डा’

by pawan sharma

आगरा। अमृता विद्या एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी और छांव फाउंडेशन के तत्वाधान में आयोजित प्रथम ‘इंग्लिश पोइट्रि अड्डा’ और राजीव खंडेलवाल की पुस्तक ‘खंडेलवाल की कविताई प्रक्रिया’ का विमोचन सम्पन्न हुआ।

सेंट जॉन्स कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एस पी सिंह ने कहा कि परिपक्व सोच के साथ सृजित लिटरेचर की समाज में हमेशा स्वीकारिता रही है। वह फतेहाबाद रोड स्थित एसिड पीड़िताओं के लिये कार्यरत छांव फाऊंउेशन के द्वारा संचालित ‘शीरोज हैंगआउट कैफे’ में प्रख्यात इंग्लिश पोइट राजीव खंडेलवाल की पुस्तक ‘खंडेलवाल की कविताई प्रक्रिया’ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा के संस्कृति के सृजन के लिए एसे प्रोग्राम लगातार होने चाहिए और पूरे शहर में जगह-जगह आयोजन होना चाहिए।

नव स्थापित लिटरेचर मंच ‘इंग्लिश पोएट्री अड्डा’ की उपयोगिता पर बोलते हुए डा सिंह ने कहा कि आगरा की पहचान एक इंग्लिश लिटरेचर के रचनाकारों के महानगर के रूप में भी रही है, लेकिन बदलते दौर के साथ यह बीते दिन की बात बन चुकी है, लेकिन राजीव खंडेलवाल की गतिविधियों से इंग्लिश लेखन को प्रेरणा मिलेगी।

डा सिंह ने इंग्लिश पोएट्री अड्डा को आगरा की जरूरत बताते हुए कहा कि कोई तो विचार विमर्श और समीक्षा का प्लेटफार्म होना चाहिए जहां कि इंग्लिश लिटरेचर के सृजनकर्ता अपने प्रयासों और सामने आ रही चुनौतियों को साझा कर सकें। प्रो.सिंह और अन्य वक्ताओं ने राजीव खंडेलवाल के द्वारा ‘इंग्लिश पोएट्री अड्डा‘ शुरू करवाने में दिए योगदान को महत्वपूर्ण बताया और उम्मीद जताई कि आने वाले वक्त में यह आगरा की सांस्कृतिक क्षेत्र में बड़ी पहचान बनेगा।

मासिक आयोजन हों
डा. सिंह ने कहा कि .,वे चाहेंगे कि यह मासिक आयोजन के रूप में संचालित रहे। उन्होंने बीते समय को याद करते हुए कहा कि प्रिंसिपल बनने से पूर्व वे कालेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में लिटरेचर से संबंधित गतिविधियों में भरपूर भागीदारी करते थे। इंग्लिश लिटरेचर खास कर पोएट्री से संबंधित किसी भी आयोजन के प्रति उनकी खास रुचि रहती थी। जब भी कोई पहल या प्रयास होता था उनका हमेशा सहयोग रहता था।

‘अड्डा’ आगरा की पहचान बने
इंग्लिश पोएट्री अड्डा विचार के आधारभूत सृजक राजीव खंडेलवाल ने कहा कि वह खुद तो जितना लिख सकते हैं लिख ही रहे हैं किंतु चाहते हैं कि औरों की भी दबी हुई लेखन क्षमता सामने आये और उभरने के लिये मंच मिले। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आने वाले वक्त में ‘अड्डा’ लेखकों ,कवियों और इंग्लिश लिटरेचर के क्रिटिकों के लिए सशक्त मंच के रूप में पहचान बनाएगा। यह संगोष्ठियों का सशक्त मंच के रूप में मान्य होगा। उन्होंने अपनी किताब ‘खंडेलवाल की कविताई प्रक्रिया’ आत्म संतुष्टि के लिये लिखा गया बताते हुए, उम्मीद की है कि इंग्लिश पोएट्री में रुचि रखने वालों के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेगी। जो उन्होने सीखा है, वह आने वाली युवा पीड़ी और जो भी इंग्लिश पोइट्रि में रुचि रखता उनके साथ कार्य करने को राजी हैं।

लिटरेरी माहौल बने
अमृता विद्या एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा कि इंग्लिश पोइटों के लिए आगरा में कोई प्लेटफार्म नहीं है,लेकिन अब यह कमी दूर हो गयी है। उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार डॉ रामविलास शर्मा और आर बी एस कॉलेज के प्रो डॉ आर पी तिवारी के दौर को याद करते हुए कहा कि उस समय आगरा विश्वविद्यालय के सेंट जॉन्स कॉलेज और आरबीएस कॉलेज परिसर अपनी अंग्रेजी साहित्य से संबंधित गतिविधियों के लिये विशिष्ट पहचान रखते थे। उन्होंने कहा कि आगरा के महाविद्यालयों और माध्यमिक विद्यालयों में इंग्लिश पढ़ने और पढाने का काम अब भी होता है किंतु इंग्लिश लिटरेचर खास कर पोइट्री संबधी गतविधियों बहुत ही कम रह गई हैं। पोएट्री अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम हैं और इसके सृजन की सभी की अपनी मौलिक क्षमता होती है, बस उसे प्रोत्साहन मिलना चाहिये।

जीवन संघर्ष में प्रेरक
छांव फाउंडेशन के डायरेक्टर आशीष शुक्ला ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि फाऊंडेशन एसिड अटैक पीड़ितों के कल्याण के लिये काम करता है, इन पीड़ितों खास कर महिलाओं में से प्रत्येक की अपनी आंतरिक पीड़ा है। मेरा विश्वास है कि इंग्लिश पोएट्री अगर उनके द्वारा किया जाना संभव हो सका या सिर्फ लिट्रेरेरी गतिविधियों का भाग बन सकी तो यह उनके अंदर के दर्द को काफी हद तक कम करने वाला साबित होगा। छांव फाउंडेशन उनकी आंतरिक पीड़ा को कम करना भी अपने पुनर्वास कार्यक्रम का भाग ही मानती है।

खंडेलवाल का ‘खंडेलवाल पोइटिक प्रोसिस ‘
‘खंडेलवाल की कविताई प्रक्रिया’ उन 52 कविताओं का संग्रह है जो कि चिंतन, सृजन और अभिव्यक्ति की मौलिकता में संतुलन बनाते हुए लिपिबद्ध की हुई हैं। कवि के रूप में खंडेलवाल जी ने अंतर्मन की गहराइयों को छूने का हर भरसक प्रयास किया है। खंडेलवाल ने बताने का प्रयास किया है कि कविता को हमारे पास प्रिंट या ऑडियो संस्करण के रूप में पहुंचना कितनी जटिल प्रक्रिया से संभव हो पाता है। स्याही कलम से कागज पर कुछ भी लिखना तो अब ज्यादा मुश्किल नहीं है किंतु अंतरमन की सटीक अभिव्यक्ति आसान नहीं होती है। जो भी सोचा गया है और उसे रचनाकार के रूप में यथा संभव परिष्कृत करना मौलिक प्रवृत्ति होती है। यह किसी भी इंग्लिश पोएट्री के कवि का पहला अनूठा प्रयास है, जहां एक साथ 52 कविताएं, कविता लेखन पर लिखी और प्रकाशित की गयी हैं।

कविता के विषयों का अन्वेषण, उसे यथार्थ से जोड़ने का प्रयास कविता सृजकों की स्वाभाविक बृत्ती होती है। समकालीन कविता की जहां समाज में सहज स्वीकारिता है. वहीं नये मौलिक दृष्टिकोण आधारित पोइट्री प्रचलन बौद्धिक वर्ग की परिपक्वता पर निर्भर करता है।

.खंडेलवाल बताते हैं कि एक कवि कविता की रचना करने के लिए विभिन्न प्रकार, संरचनाएं, उपकरण और तकनीकों का उपयोग करता है। जबलपुर से प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाली उनकी किताब की समालोचक डॉ. नीलांजन पाठक कहती हैं कि ‘खंडेलवाल की काव्य प्रक्रिया’, संकलन में, कविता के रूप में, खंडेलवाल ने कवियों के लिए अपनी रचनाओं को जीवंत बनाने के लिए उपलब्ध अनेक विकल्पों को दर्शाया है।

प्रोग्राम में असलम सलीमी, अनिल कुमार शर्मा कवि, डॉ आईसक घोष – विभाग अध्यक्ष इंग्लिश, सैंट जॉन्स कॉलेज, आगरा, नवाब उद्दीन-मैनेजमेंट ट्रेनर, सीमा खंडेलवाल, विवेक शर्मा, वेरोनिका शर्मा, बीना श्रीवास्तव, मुहम्मद आहिल, प्रो वेद त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।

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