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मुहर्रम : पिछले 50 सालों से यहां कावा और झांकी को देखकर कुर्बानी-धर्म के सही मायनों से लोग होते हैं रूबरू

by admin
Muharram: Seeing Kava and tableau here for the last 50 years, people are exposed to the true meaning of sacrifice-religion

Agra. हजरत इमाम हुसैन की याद में मुहर्रम (Muharram) पर्व मनाया जाता है। हजरत इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम समाज के लोग ताजिये रखते है तो वहीं पिछले 50 वर्ष से मुहर्रम पर्व पर अबुल उलाई शेख कमेटी के अध्यक्ष बुंदन मियां की ओर से मोहम्मद पैगम्बर, इमाम हुसैन और मुस्लिम धर्म से जुड़ी हुई झांकी बनाकर उनके माध्यम से युवा पीढी को इमाम हुसैन की कुर्बानी और धर्म के सही मायनों से रूबरू कराते हुए आ रहे है। पिछले 50 वर्षों से चल रही इस परंपरा को बुंदन मियां ने आज भी जारी रखा है।

इस बार बनाया है हुसैन का रोजा-

अबुल उलाई शेख कमेटी के अध्यक्ष बुंदन मियां की ओर से इस बार हुसैन का रोजा की झांकी बनाई गई है। हुसैन का रोजा यानी उनका मकबरा जो इराक के कर्बला शहर में स्थित है। बताया जाता है कि शिया और सुन्नी संप्रदायों के बीच लड़ाई हुई थी जिसमें इमाम हुसैन और उनके भाई के साथ 72 अनुयायियों को मार दिया गया था। शिया मुसलमानों के लिए मक्का के बाद कर्बला सबसे पवित्र स्थल है क्योंकि यहाँ हुसैन का उनका मकबरा है।

झांकी बनाने में लगे लगभग दो महीने:-

अबुल उलाई शेख कमेटी के अध्यक्ष बुंदन मियां ने बताया कि कावा और हुसैन का रोजा की झांकी बनाने के लिए लगभग दो महीने का समय लगा। यह झांकी उनके बेटों द्वारा तैयार की जाती है। इस झांकी को तैयार करने में पेपर, गत्ता, रिब्बन, लाइट व अन्य कई वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। इतना ही नहीं इस झांकी पर धार्मिक आयतें भी लिखी जाती है, साथ ही इमाम हुसैन का नाम भी लिखा जाता है।

तीन दिनों तक लगाई जाती है प्रदर्शनी:-

अबुल उलाई शेख कमेटी से जुड़े लोगों ने बताया कि मुहर्रम पर बुंदन मियां की ओर से जो झांकी बनाई जाती है वो मुहर्रम के तीन दिन 7, 8 और 9 तारीख को लोगों के लिए खुली होती है। हर व्यक्ति इस झांकी को देख सकता है और मुहर्रम की 10वीं तारीख जिस दिन ताजिये सुपुर्दे खाक किये जाते हैं, उसके बाद प्रदर्शनी को हटा दिया जाता है। इन दिनों इस झांकी की ईबादत की जाती है।

50 वर्ष से लगातार लगाई जा रही है झांकी:-

क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि लगभग 50 सालों से मुहर्रम पर्व पर वो इस तरह की झांकी देख रहे है। घरों में ताजिये रखे जाते है लेकिन मोहम्मद पैगम्बर, इमाम हुसैन और मुस्लिम धर्म से जुड़ी केवल अबुल उलाई शेख कमेटी के अध्यक्ष ही बना रहे हैं। उनके माध्यम से युवा पीढी को इमाम हुसैन की कुर्बानी और धर्म के सही मायनों से रूबरू करा रहे है।

जुलूस या ताजिया निकालने की अनुमति नहीं:-

मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि इस बार भी मुहर्रम के अवसर पर किसी प्रकार का जुलूस या ताजिया निकालने की अनुमति नहीं दी गयी है। इससे दु:ख है लेकिन कोरोना के चलते सरकार ने यह फैसला लिया है जिसका सभी पालन करेंगे। सरकार ने
एक स्थान पर अधिकतम 50 श्रद्धालुओं के एकत्र होने की अनुमति शर्तों के साथ दी गई है। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, मास्क, दो गज की दूरी, सैनेटाइजर का उपयोग तथा कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार अन्य सावधानियां बरतने के निर्देश दिए है जिसका पालन समाज कर रहा है।

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