Mathura. शनिवार को कान्हा की नगरी में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास, आस्था और भक्ति के साथ मनाया गया। मुड़िया शोभायात्रा का शुभारंभ गोवर्धन के चकलेश्वर राधा श्याम सुंदर मन्दिर से शुरू हुआ और दसविसा सोंख अड्डा डीग अड्डा बड़ा बाजार हाथी दरवाजे होते हुए चकलेश्वर पर जाकर समाप्त हुआ। मुड़िया शोभायात्रा में शामिल हुए साधु संतों ढोल नगाड़ों पर नाचते गाते हुए निकले। जहाँ जहाँ से संतों की यह यात्रा निकली, वहां लोगों ने पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। इस यात्रा को लेकर पुलिस प्रशासन में भी कड़े बन्दोबस्त कर रखे थे। मुड़िया शोभायात्रा भारी संख्या में पुलिस सुरक्षा के बीच में होकर निकली।
बता दें कि कोरोना काल से पहले हर साल गुरु पूर्णिमा मेले में लाखों करोड़ों भक्त गोवर्धन में आया करते थे। हालांकि पिछली साल की तरह इस बार भी कोरोना काल में कान्हा की नगरी के गोवर्धन धाम में लगने वाले गुरु पूर्णिमा मेले पर संक्रमण का असर को देखते हुए इस बार भी प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध और मेला को निरस्त करा दिया। इस बार भी मुड़िया शोभायात्रा निकलने की प्रशासन ने अनुमति दे रखी है, उसी अनुमति के आधार पर मुड़िया पूर्णिमा मेला निरस्त होने के बाद गुरु-शिष्य की परंपरा निभाने के लिए शुक्रवार को जहां संतों ने मुंडन कराया वहीं आज शनिवार को मुड़िया शोभायात्रा संतो के द्वारा निकाली गई।
बताया जाता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा आज यानी 24 जुलाई दिन शनिवार को है। इसे व्यास पूर्णिमा इसलिए कहते हैं, क्योंकि आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यास का जन्म हुआ था। इन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान कराया था तथा सभी पुराणों की रचना की।
आपको बता दें कि पूरे देश में मनाए जाने वाला गुरु पूर्णिमा गोवर्धन धाम में मुड़िया पूर्णिमा मेला के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर श्याम सुंदर दास ने बताया कि यहां सनातन गोस्वामी के 1558 में गोलोकधाम पधारने पर उनके शिष्यों ने सिर मुड़ाकर मानसी गंगा की परिक्रमा लगाई थी। उसी परंपरा का गोवर्धन के चकलेश्वर स्थित श्रीराधा श्याम सुंदर मन्दिर के संत निर्वहन करते चले आ रहे हैं। शुक्रवार को अनुयायी भक्तों ने मंदिर में सिर मुंडन कराया है। शनिवार को मानसी गंगा में स्नान कर परंपरानुगत 463 वीं बार मुड़िया शोभायात्रा हरिनाम संकीर्तन के साथ निकाली जा रही है।