दिल्ली के लालकिला को एक बड़े कॉरपोरेट हाउस डालमिया ग्रुप ने अपना बना लिया है। देश के इस ऐतिहासिक धरोहर को संवारने की खातिर डालमिया ग्रुप ने 25 करोड़ की डील की है। सरकार के उठाये गये इस कदम और लालकिला को डालमिया कंपनी को सौंपे जाने पर अच्छा खासा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस समेत कई दलों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस ने इस फैसले को लेकर सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर पूछा कि ‘बीजेपी सरकार अब किस प्रतिष्ठित स्थल को प्राइवेट कंपनी के हवाले करेगी?’
बताते चलें कि डालमिया ग्रुप ने ये कॉन्ट्रैक्ट इंडिगो एयरलाइंस और जीएमआर ग्रुप को हराकर जीता है। मीडिया सोर्स के मुताबिक ये कॉन्ट्रैक्ट सरकार की ऐतिहासिक स्मारकों को गोद देने की स्कीम ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ का हिस्सा है। लालकिला के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर डालमिया भारत ग्रुप, टूरिज्म मिनिस्ट्री, आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के बीच बीते 9 अप्रैल को डील हुई। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक ग्रुप को 6 महीने के भीतर लाल किले में बेसिक सुविधाएं देनी होंगी।
जानकारी के मुताबिक डालमिया ग्रुप संभवत: 23 मई से काम भी शुरू करने की प्रक्रिया में जुट जाएगी। इस में यह खाका तैयार होगा कि कैसे लाल किले का विकास हो। हालांकि 15 अगस्त के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से पहले जुलाई में डालमिया ग्रुप को लालकिला फिर से सिक्योरिटी एजेंसियों को देना होगा। इसके बाद ग्रुप एकबार फिर से लाल किले को अपने हाथ में ले लेगा।
बीजेपी की परंपरागत सहयोगी रही शिवसेना ने भी मोदी सरकार के इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। शिव सेना नेता मनीषा कायंडे ने कहा कि ये बहुत शर्मनाक बात है कि हम अपने ही धरोहरों का रखरखाव नहीं कर सकते हैं। उधर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘मोदी सरकार द्वारा इसे लाल किले का निजीकरण करना कहोगे, गिरवी रखना कहोगे या बेचना।’