आगरा। जिस तरह यशोदा मैया ने कृष्णा का लालन-पोषण किया था, उसी तरह से जिला अस्पताल में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले कुपोषित बच्चों का डायटिशियन ललितेश ध्यान रखती हैं। ललितेश सात साल में अब तक पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में आए दो हजार बच्चों को कुपोषण से मुक्त कर चुकी हैं। मां अपने बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए यहां लाती हैं तो डायटिशियन ललितेश इन बच्चों का यशोदा मां की तरह ध्यान रखती हैं। वे बच्चों के वजन और स्वास्थ्य के आधार पर उन बच्चों की डाइट तय निर्धारित करती हैं और उसी के अनुसार उन बच्चों का पोषण आहार दिया जाता है। जिससे कि बच्चों में कुपोषण दूर हो रहा है।
एनआरसी में अपनी डेढ़ साल की बेटी जानवी का उपचार करा चुकीं खंदौली के पैंती खेड़ा निवासी ललितेश ने बताया कि जब उनकी बेटी एनआरसी में भर्ती होने के लिए आई थी तब वो इतनी कमजोर थी कि खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। यहां पर जब में आई तो इसका वजन पांच किलोग्राम था और अब इसका वजन आठ किलोग्राम हो गया है। जांच में बच्ची में खून की कमी निकली और टीबी भी सामने आई। अब इसका टीबी का भी उपचार शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि यहां पर डाइटिशियन ललितेश ने एनआरसी में उनकी बेटी का बहुत ध्यान रखा। उन्होंने उसे अपने हाथों से भी खाना खिलाया। इसके साथ ही मुझे भी बताया कि मैं घर पर कैसे बच्चों को सुपोषित आहार बनाकर खिला सकती हूं। जानवी की मां ने कहा कि डाइटिशियन ललितेश के कारण ही उनकी बेटी स्वस्थ हो पाई है।
लादू खेड़ा निवासी रजनी ने बताया कि उनकी आठ माह की सृष्टि ने बताया कि 12 दिन से भर्ती है, जब वो यहां पर भर्ती होने के लिए आई थी तब इसका वजन दो किलोग्राम था, अब इसका वजन तीन किलोग्राम हो गया है। यहां पर आकर इसे सुपोषित आहार मिलने से इसकी सेहत तेजी से अच्छी हो रही है। रजनी ने बताया कि डाइटिशियन ललितेश और उनका स्टाफ उनकी बच्ची का काफी ध्यान रख रहा है। उनकी मेहनत और देखभाल के कारण ही उनकी बेटी सृष्टि स्वस्थ हो रही है।
नगला छउआ निवासी पिंकी ने बताया कि उनकी बेटी एनआरसी में तीन दिन से एडमिट है। जब वो यहां पर आई थीं, तब उनकी बेटी का हीमोग्लोबिन 4.7 था और वजन ढाई किलोग्राम था। तब वो काफी सुस्त थी और खाना भी नहीं खा रही थी। लेकिन जब मैं यहां आई तो डाइटिशियन ललितेश ने बेटी को खुद खाना खिलाया। वे रोजाना दिन में चार बार उसे देखने के लिए आती हैं। अब तीन दिन में उनकी बेटी खाना खाने लगी हैं और अब वो खेलती भी है। उसका वजन भी 500 ग्राम तक बढ़ा है।
डायटिशियन ललितेश ने बताया कि एनआरसी में कुपोषित बच्चे आते हैं तो हम उनकी रिपोर्ट इत्यादि करने के बाद उनकी डाइट निर्धारित करत हैं, इस दौरान बच्चे की मां को भी बताते हैं कि वे घर पर कैसे बच्चे का ध्यान रखें और उसे सुपोषित आहार दें। उन्होंने बताया कि हमारे यहां पर बच्चा दो सप्ताह तक रहता है इतने समय में ही हमारा उनसे विशेष लगाव हो जाता है।
डीपीओ साहब यादव ने बताया कि एनआरसी में कुपोषित बच्चों का ट्रीटमेंट अच्छी तरह से दिया जा रहा है। डाइटिशियन ललितेश और उनकी टीम के काम को देखकर सीडीओ ने यहां पर अब 25 बेड करने की अनुमति भी दे दी है। एनआरसी के माध्यम से हम कई बच्चों को कुपोषण की श्रेणी से बाहर ला रहे हैं।साल 2021 में एनआरसी में कुल 190 कुपोषित बच्चे स्वस्थ हो चुके हैं।
एनआरसी में 2021 में स्वस्थ हुए कुपोषित बच्चे
जनवरी से मार्च – 34
अप्रैल से जून- 19
जुलाई से सितंबर- 78
अक्टूबर से दिसंबर- 59
(नोट- डाटा पोषण पुनर्वास केंद्र से लिया गया है)